मुंबई (विसंकें). लेखिका गौरी लंकेश की हत्या 05 सितंबर 2017 को हुई थी. इस हत्याकांड में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का हाथ है, यह आरोप कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने लगाया था. इसके खिलाफ एक कार्यकर्ता द्वारा दायर मानहानि केस में सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने 18 फरवरी को दोनों नेताओं को सम्मन जारी किया है. कोर्ट ने दोनों नेताओं को 25 मार्च को सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश रहने को कहा है. तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस मामले में राहत मिली है. अधिवक्ता धृतिमान जोशी ने 2017 में मानहानि केस दाखिल किया था.
वाम समर्थक जानी पहचानी लेखिका-पत्रकार गौरी लंकेश की उनके घर के बाहर गोली मारकर नृशंस हत्या कर दी गई थी. जिसके तुरंत बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मामले में संघ का नाम घसीटा था. उन्होंने कहा था, ‘भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विरोध में बोलने वालों पर दबाव डाला जाता है. उनके साथ मारपीट की जाती है, तथा उनकी हत्या भी की जाती है’. ‘संघ विचार और संघ कार्यकर्ताओं ने गौरी लंकेश की हत्या की है’, सीताराम येचुरी ने यह आरोप लगाया था. इनके बयान को आधार बनाते हुए अधिवक्ता धृतिमान जोशी ने राहुल गांधी, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, सीताराम येचुरी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ अदालत में शिकायत दायर की थी.
येचुरी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव, राहुल गांधी के पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारी होने के कारण, उनकी सोच, पार्टी की सोच है, इसे आधार बनाते हुए माकपा, सोनिया गांधी के खिलाफ भी मामला दायर किया गया था. लेकिन एक व्यक्ति द्वारा की गई टिप्पणी के लिए पार्टी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, कोर्ट ने इस आधार पर सोनिया गांधी और माकपा को राहत दी है.