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गौ ग्रास रथ : एक अनूठा प्रयास

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go_gras_rathबल्लभगढ़ (विसंके). सदियों से हमारे देश में परंपरा रही है कि प्रत्येक हिन्दू परिवार में पहली रोटी गौमाता के नाम की बनती है और उसके बाद परिवार के लिये. परन्तु पिछले कुछ समय से शहरी क्षेत्रों में घनी आबादी के बीच गायों का मिलना ही कठिन हो रहा था, इस वजह से या तो अनेक घरों में गाय के लिये रोटी बनाना बंद हो गया था या बनती भी थी तो वह कई दिनों तक रसोई में पड़ी सूख जाती थी.
बल्लभगढ में ऊंचा गांव स्थित नंदीग्राम गौशाला ने उक्त समस्या का बहुत ही सरल और बेजोड़ हल निकाला है. इस गौशाला ने 4 गौ-ग्रास रथ बनवाए हैं. प्रतिदिन ये चारों रथ प्रातः ही गौशाला से शहर के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में घर-घर जाते हैं और घरों से गौ-ग्रास लेकर आते हैं. रथ पर ध्वनि विस्तारक यन्त्र ( लाउड स्पीकर ) लगा रहता है और उसमें भजन चल रहे होते हैं जिससे गली में घुसते ही सभी गली वालों को गौ-ग्रास रथ के आने का पता चल जाता है और माता-बहिनें गाय की रोटी, आटा व गुड आदि लाकर उसमें डाल देती हैं.
गौशाला का आग्रह है कि ‘कम से कम एक रोटी और एक रुपया’ प्रतिदिन प्रत्येक हिन्दू परिवार को गौ-ग्रास के रूप में अवश्य निकालना चाहिये. गौशाला के संयोजक रुपेश यादव ने बताया कि अभी 2 रथ और जल्दी ही आ जाएंगे, इस प्रकार कुल 6 रथ नंदीग्राम गौशाला के पास हो जाएंगे. एक रथ की कीमत लगभग 13000 रूपये है. गौशाला का यह प्रयास बहुत ही प्रशंसनीय है, इससे न केवल गौशाला को लाभ होगा. अपितु गौमाता के प्रति आस्था भी और अधिक बलवती होगी.

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