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चित्रकूट की सीमा पर प्रवासी श्रमिकों को उपलब्ध करवाया जा रहा भोजन

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सेविका समिति, दीनदयाल शोध संस्थान, संघ के स्वयंसेवक कर रहे कार्य

चित्रकूट. कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन के चलते आजीविका का संकट खड़ा होने के कारण प्रवासी श्रमिकों का अपने गांव वापिस लौटने का सिलसिला अभी भी जारी है. यही हालात उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जनपद एवं मध्य प्रदेश के मझगवां जनपद में भी हैं, इन क्षेत्रों के भी हजारों प्रवासी श्रमिकों के अपने घरों को लौटने की कवायद जारी है. पिछले कई दिनों से प्रवासी श्रमिक चित्रकूट से होकर अपने घर की ओर जा रहे हैं. इस दौरान स्वयंसेवी संस्थाएं भी बढ़-चढ़कर उनके भोजन-पानी की चिंता करने में लगी हैं.

दीनदयाल शोध संस्थान के विभिन्न प्रकल्पों, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ राष्ट्र सेविका समिति चित्रकूट नगर की बहनों द्वारा दो सप्ताह से श्रमिकों को भोजन के पैकेट उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा अपनी समन्वय टीम के माध्यम से गांव-गांव में कोरोना वायरस से बचाव और सुरक्षा के उपायों के बारे में जानकारी प्रदान की जा रही है. जागरूकता के लिए दीवार लेखन किया जा रहा है.

चित्रकूट की सीमा से गुजरने वाले प्रवासी श्रमिकों को प्रतिदिन 300 भोजन पैकेट बांटे जा रहे हैं. दीनदयाल शोध संस्थान जन शिक्षण संस्थान के कार्यकारी निदेशक राजेंद्र सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, रामदर्शन एवं चित्रकूट नगर की राष्ट्र सेविका समिति इकाई की बहनों के सहयोग से प्रतिदिन भोजन के पैकेट तैयार कराए जा रहे हैं, उसके बाद दो टीमों के माध्यम से चित्रकूट के रजौला बाईपास और रामदर्शन के आगे काउंटर लगाकर भोजन प्रसाद उपलब्ध कराया जा रहा है.

इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोविड-19 से बचाव के लिए मास्क एवं साबुन का वितरण किया जा रहा है. साथ ही चित्रकूट एवं मझगवां नगर के सार्वजनिक स्थलों जैसे बैंक, राशन की दुकानों और शासकीय उपक्रमों आदि स्थानों पर बैनर लगाकर, पोस्टर चिपकाकर एवं पत्रक बांटकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. सावधानी और सतर्कता ही कोरोना से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय है.

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