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जनजाति समाज ने संघर्षरत रहकर हिन्दू संस्कृति का संरक्षण किया – डॉ. मोहन भागवत जी

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डहाणू, मुंबई (विसंकें). कै. माधवराव काणे स्थापित एवम् विश्‍व हिन्दू परिषद द्वारा संचालित तलासरी के जनजाति समाज के विद्यार्थियों के वसतीगृह ने अपने पचास वर्ष पूरे किए. स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर 15 अप्रैल को डहाणू में आसवे गाँव में विराट हिन्दू सम्मेलन का आयोजन किया गया. समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने उपस्थित जनों को संबोधित किया.

उन्होंने कहा कि जनजाति समाज कभी दुष्ट शक्तियों की शरण में नहीं गया, बल्कि उनसे लड़ता रहा. सनातन हिन्दुत्व और वैदिक परंपराओं का संरक्षण करने का काम इस समाज ने किया. हमने जिन्हें  उपेक्षित रखा, वो जनजाति समाज हमारे बंधु हैं. हमारे बच्चों को, समाज को इन जनजातियों का परिचय करवाना यह हमारा कर्तव्य है. यह सांस्कृतिक धरोहर आने वाली पीढ़ी तक पहुँचना आवश्यक है. जनजातियों को प्रगति का अवसर मिलना जरूरी है. आयुष्य का एक तृतीयांश समय अगर हम इस समाज की उन्नति के लिये देते हैं, तो बहुत जल्द अनेक लोगों के स्वार्थ की दुकान बंद हो जाएगी. यह मायावी लोग हैं. मिठी बातें करके, सहानुभूति जताकर धर्मांतरण करते हैं. ये दो बिल्लियों का झगड़ा सुलझाने के बहाने मक्खन खाने वाले बंदर के वारिस हैं. इस बारे में समाज को सजग रहना जरूरी है. उन्होंने कहा कि तलासरी के इस प्रकल्प ने सजग रहने वाले कार्यकर्ता तैयार करने का काम किया है.

सरसंघचालक जी ने कहा कि भाषा, प्रांत, जाति के भेदाभेद में ‘हिन्दू’ यह हमारी असली पहचान हम भूल गए हैं. आयुष्य के प्रवास में हिन्दू होना यह एक जंक्शन है. पथिकों को यह जंक्शन ना मिले और वे अपनी पहचान से भटक जाएं, इसलिये अनेकों ने वर्षों तक प्रयास किये. मैकॉले से यह परंपरा चली आ रही है. इन लोगों से दूर रहना और अपनी हिन्दुत्व की पहचान संभालना यह कार्य हमारे सामने है.

राम मंदिर के विषय पर सरसंघचालक जी ने कहा कि राममंदिर ध्वस्त करने वाला कोई भारतीय मुसलमान नहीं था. भारत का नागरिक ऐसा कृत्य नहीं करेगा. परकीय शक्तियों ने भारतीयों का अपमानित करने हेतू यहाँ के मंदिरों को निशाना बनाया. परंतु आज हम स्वतंत्र हैं. जो-जो ध्वस्त हुआ है, उसका पुनर्निमाण करने का हमें अधिकार है. यह केवल मंदिर नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व की पहचान है. राम मंदिर फिर से नहीं बना तो हमारी संस्कृति की नींव टूट जाएगी. मंदिर जहाँ था, वहीं पर फिर से खड़ा होगा, इसमें कोई संदेह नहीं.

विराट हिन्दू सम्मेलन में लगभग 60 हजार लोग उपस्थित रहे. पालघर जिले के सुदूर क्षेत्रों से अनेक हिन्दू बांधवों ने सम्मेलन में शिरकत की. हिन्दुस्थान प्रकाशन संस्था द्वारा प्रकाशित वन जन गाथा पुस्तक का विमोचन सरसंघचालक जी ने किया. सम्मेलन के पश्‍चात् सरसंघचालक जी ने तलासरी जाकर प्रकल्प का अवलोकन किया.

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