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जम्मू कश्मीर को लेकर अवधारणा बदलनी होगी – अरुण कुमार

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नई दिल्ली (इंविसंके). दिल्ली विवि के खालसा कॉलेज में जम्मू-कश्मीर स्टडी सेंटर (JKSC)  के त्तवाधान में सेमीनार का आयोजन किया गया. सेमीनार में जम्मू-कश्मीर स्टडी सेंटर के निदेशक अरुण कुमार ने डीयू के गुरुतेग बहादुर खालसा कॉलेज में “जम्मू-कश्मीर के वर्तमान परिदृश्य” पर उपस्थित गणमान्यजनों को जानकारी दी. सेमीनार के आयोजन का उद्देश्य जम्मू कश्मरी को लेकर पिछले कुछ समय से बनाई गई अवधारणा को सही तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में बदलना है. सेमीनार में फरवरी 1994 में संसद के संयुक्त अधिवेशन में पारित प्रस्ताव की वर्षगांठ भी मनाई गई. जिसके तहतल भारत ने जम्मू कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग घोषित किया था, तथा इसे भारत से अलग करने के किसी भी प्रयास का विरोध करने का निर्णय लिया गया था. प्रसातव में पाकिस्तान से भी अवैध कब्जे वाले हिस्से को खाली करने का आग्रह किया गया था.

यह कार्यक्रम जम्मू-कश्मीर पीपल्स फोरम और नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट द्वारा आयोजित किया गया था. स्टडी सेंटर के निदेशक अरुण कुमार ने कहा कि  देश भर में कश्मीर को जिस तरह समस्या के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, दरअसल यह समस्या नहीं है. इसको ठीक से समझने की जरूरत है. मीडिया को भी कश्मीर को लेकर एक सही दृश्य प्रस्तुत करने की जरूरत है.

देश में सही जानकारी के अभाव में लोगों को जम्मू कश्मीर के बारे में कई गलतफहमियां हैं. सही वस्तुस्थिति कानूनी दस्तावेजों के आधार पर देखकर प्रकट की जा सकती है. कश्मीर के केवल पांच जिलों में अलगाववाद की बात है, बाकी लोग भारत के साथ रहना चाहते हैं. जम्मू-कश्मीर के अधिकांश लोग राष्ट्रवादी है, हमें यह समझने की जरूरत है.

आज जो पाक अधिकृत कश्मीर कहा जाता है, वहां के लोग भी भारत के प्रति सहानुभूति रखते हैं. लेकिन भारत ने कभी उनसे संपर्क करने की कोशिश नहीं की. पाकिस्तान का न्यायालय भी  एक मामले में निर्णय दे चुका है कि वह हिस्सा पाकिस्तान का नहीं है.  गिलगित-बल्तिस्तान का इलाका हमारे देश के लिये महत्वपूर्ण है. क्योंकि यहां छह देशों की सीमाएं लगी हैं और वहां से कई देशों के लिए रास्ता सुगम है, लेकिन दुर्भाग्य से यह इलाका हमारा होते हुए भी हमारे पास नहीं है. हमें अगर फिर से सोने की चिड़िया बनना है तो हमें गिलगित चाहिये.

उन्होंने कहा कि धारा 370 पर चर्चा की महति आवश्यकता है, इस पर शिक्षा जगत के लोगों को काम करने की जरूरत है. जम्मू-कश्मीर को लेकर शोध की जरूरत है. जिससे तथ्यों को सही ढंग से सबके समक्ष रखा जा सके.

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