नई दिल्ली. जम्मू कश्मीर में अलगाववादी नेताओं से सरकारी सुरक्षा व सुविधाएं वापिस लेने का क्रम जारी है. पुलवामा आतंकी हमले के पश्चात सरकार ने प्रमुख अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा व सुविधाएं वापिस ली थी. 17 फरवरी को राज्य सरकार ने अलगाववादी नेताओं मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल गनी भट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी और शबीर अहमद शाह की सुरक्षा वापस लेने का फैसला किया था. अब डेढ़ सौ से अधिक अन्य नेताओं से सुरक्षा व सुविधाएं वापिस ली गई हैं. राज्य के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा समीक्षा बैठक में यह फैसला लिया गया है.
अलगाववादियों व नेताओं को सरकार की ओर से न केवल सुरक्षा मुहैया कराई जा रही थी, बल्कि होटल से लेकर गाड़ी के डीजल तक का खर्चा सरकार उठा रही थी. यानि इन्हें केंद्र व जम्मू-कश्मीर की सरकारों की तरफ से हर तरह की सुविधा मुहैया कराई जा रही थी. इसके अलावा महंगी गाड़ियों में घूमने और फाइव स्टार श्रेणी के अस्पतालों में इलाज करवाने का आनंद ले रहे थे.
पुलवामा में आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अलगाववादियों के खिलाफ कार्रवाई तेज करते हुए 18 हुर्रियत नेताओं को दी गई सुरक्षा वापस ली है. इसके साथ ही 155 से ज्यादा राजनीतिज्ञों का सुरक्षा कवच भी छीन लिया गया है. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के करीबी वाहिद मुफ्ती और पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैज़ल भी शामिल हैं. इससे पहले भी सरकार ने पांच अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ली थी. बुधवार की कार्रवाई के बाद सभी 23 अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा छिन गई है.
इस सूची में पाकिस्तान का समर्थन करने वाले अलगाववादियों सैयद अली शाह गिलानी और जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक, एक साल से जेल में बंद शाहिद-उल-इस्लाम और नइम खान का भी नाम है. जिन प्रमुख हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा वापस ली गई है, उनमें अगा सैयद मौसवी, मौलवी अब्बास अंसारी, सलीम गिलानी, जफर अकबर भट्ट, फारुख अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, अगा सैयद अब्दुल हुसैन, अब्दुल गनी शाह, मोहम्मद मुसादिक भट्ट और मुख्तार अहमद वजा शामिल हैं.
इनकी सुरक्षा में सौ से ज्यादा गाड़ियां व 1000 पुलिसकर्मी तैनात थे. गृह मंत्रालय की ओर से सुरक्षा हटाए जाने या कम करने को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है.