जम्मू. हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी में तीसरे दिन भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. जिसके चलते श्री अमरनाथ यात्रा तीसरे दिन भी बाधित रही. वहीं हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 23 हो गई है, जबकि घायलों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है. उपद्रवियों ने श्री अमरनाथ यात्रा में विघ्न डालते हुए पहलगांव के निकट गणेश पुरा में 5 लंगरों में आग लगा दी.
प्रशासन ने घाटी में जारी तनाव को देखते हुए श्रीनगर में 11 जगहों पर कर्फ्यू जारी रखा है, जहां बारह सौ अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है. घाटी में मोबाइल और इंटरनेट सेवा पर रोक जारी है. जम्मू-कश्मीर में उत्पन्न हुए तनाव के चलते श्री अमरनाथ की यात्रा किए बगैर सैकड़ों तीर्थयात्रियों ने वापस अपने घर लौटना शुरू कर दिया है. तीर्थयात्रियों के नए जत्थे को सोमवार सुबह जम्मू के आधार शिविर से रवाना करने की अनुमति नहीं दी.
अनंतनाग जिले के संगम में भीड़ ने एक चल बंकर वाहन को झेलम नदी में धकेल दिया, जिससे उसमें सवार पुलिस चालक फिरोज अहमद की मौत हो गई. हालात पर काबू पाने के लिए राज्य की अपील पर केंद्र ने सीआरपीएफ़ की 20 और टीमों को भेजा गया है. पहले से ही 60 टीमें वहां मौजूद हैं.
अम्बाला से अमरनाथ बाबा सेवा संघ के अध्यक्ष सुरेश कुमार ने बताया कि गत दिवस लगभग 2 हजार से अधिक उपद्रवियों ने 5 लंगरों पर हमला बोल दिया. लंगर संगठनों द्वारा लगाए गए टैंटों को तोड़ दिया गया तथा लंगर सामग्री तहस-नहस कर दी. लंगर वाले स्थान पर सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं किए गए थे. लंगर लगाने वाली संस्थाओं के सदस्यों ने मुश्किल से अपनी जान बचाई. लंगर का सारा सामान नष्ट कर दिया.
जम्मू के आईजी दानेश राना ने कहा कि वह जम्मू से बालटाल और पहलगाम मार्गों के लिए अमरनाथ यात्रा की अनुमति देकर जोखिम नहीं ले सकते. जैसे ही घाटी में हालात सुधरेंगे यात्रा को जम्मू बेस कैंप से शुरू करने की अनुमति दे दी जाएगी. आठ से दस हजार अमरनाथ तीर्थयात्री जम्मू में ही फंसे हुए हैं. कड़ी सुरक्षा के बीच बालटाल और अन्य स्थानों पर फंसे हुए अमरनाथ यात्रियों को रविवार की पूरी रात सुरक्षित निकालने का कार्य जारी रहा. करीब 1000 फंसे यात्रियों को जम्मू क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया गया है.
साभार – न्यूज भारती…..