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जम्मू – संघ कार्यकर्ता चंद्रकांत शर्मा के हत्य़ारे आतंकी को सुरक्षा बलों ने किया ढेर

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नई दिल्ली. सुरक्षा बलों को रविवार को एक एनकाउंटर में बड़ी सफलता हाथ लगी. सुरक्षा बलों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता चंद्रकांत शर्मा की हत्या में शामिल आतंकी ताहिर अहमद सहित एक अन्य आतंकी को मार गिराया. हालांकि इस एनकाउंटर में एक जवान भी बलिदान हो गया.

जानकारी के अनुसार हिज्बुल मुजाहिद्दीन संगठन का आतंकी ताहिर अहमद भी उन आतंकियों में शामित था, जिन्होंने पिछले साल 09 अप्रैल को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता चंद्रकांत शर्मा की गोली मारकर हत्या कर दी थी.

जम्मू के आईजीपी मुकेश सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि हिज्बुल मुजाहिद्दीन के के आतंकी ताहिर अहमद का मारा जाना सुरक्षाबलों के लिए बड़ी सफलता है. अब डोडा को आतंकवाद से मुक्त कहा जा सकता है. क्योंकि डोडा किश्तवाड़ में दोबारा आतंकी की शुरूआत और सभी आतंकी गतिविधियों को ताहिर अहमद ही संचालित करता था. आतंकी ताहिर के पास से एक एके-47 राइफल और 2 मैगज़ीन बरामद किए गए हैं.

पुलवामा का रहने वाला ताहिर अहमद भट पिछले साल 2019 की शुरूआत में हिज्बुल मुजाहिदीन आतंकी संगठन में शामिल हुआ था। जिसके बाद उसका नाम मार्च 2019 में बनिहाल में सीआरपीएफ की टीम पर आईडी विस्फोट के समय सामने आया था। हिज्बुल मुजाहिदीन ने उसे चिनाब घाटी में युवाओं को अपने आतंकी संगठन में भर्ती करने और आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने का काम सौंपा था। अप्रैल 2019 में आतंकी ताहिर ने अपने साथियों के साथ आरएसएस नेता चंद्रकांत शर्मा और उनके बॉडीगार्ड की हत्या की थी। ताहिर अहमद के मारे जाने से डोडा में हिज्बुल मुजाहिदीन के सभी आतंकी गतिविधियों पर रोक लग गई हैं, सुरक्षाबलों के लिए यह बड़ी कामयाबी हैं। ताहिर अहमद हिज्बुल मुजाहिदीन के वर्तमान ऑपरेशन कमांडर सैफ का भी करीबी था।

चंद्रकांत शर्मा

किश्तवाड़ निवासी चंद्रकांत शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जम्मू-कश्मीर के प्रांत सह सेवा प्रमुख थे. साथ ही वह किश्तवाड़ जिला अस्पताल में चिकित्सा सहायक के पद पर कार्यरत थे. वह घाटी में आतंक के खात्मे के लिए हमेशा बढ़चढ़ कर कार्य करते थे. इसी कारण वह आतंकियों के निशाने पर थे. 9 अप्रैल 2019 के दिन जब वह अस्पताल के ओपीडी से बाहर निकले, उसी वक्त आतंकवादियों ने उन पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें सबसे पहले उनके अंगरक्षक राजेंद्र कुमार बलिदान हुए, और उसके बाद चंद्रकांत जी को पेट में गोली लगी, खून से लथपथ वे वहीं पर गिर गए और आतंकी वहां से भाग निकले थे. अस्पताल में चंद्रकांत जी की मृत्यु हो गई थी.

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