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जहां समस्या होती है, वहां समाधान भी होता है

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Vanvasi Kalyan Karyakram- Chhatisgarhछत्तीसगढ़. जशपुरनगर में बाला साहब देशपांड़े के जन्म शताब्दी वर्ष के समापन पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. वनवासी छात्रावास में अध्ययनरत 108 छात्रों के अभिभावकों की 108 की संख्या सहित अन्य क्षेत्रों में कार्यरत 108 कार्यकर्ता अलग-अलग समूहों में यज्ञकर्ता यजमान के रूप में शामिल हुये. वनवासियों के यज्ञपूजन में डॉ सुभाष चंद्रा,गुणवंत सिंह कोठारी सहित सभी अतिथियों ने आहुति डाली और वनवासियों के हितार्थ प्रार्थना की.

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ सुभाष चंद्रा, सुशीला गोयल, कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदेव राम उरांव,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख गुणवंत सिंह कोठारी,केंद्रीय मंत्री विष्णु देव साय,सांसद रणविजय सिंह जूदेव, संत प्रपन्नाचार्य उमाकांत,प्रबल प्रताप सिंह जूदेव उपस्थित थे.कार्यक्रम के दौरान अखंड कीर्तन, यज्ञ का आयोजन किया गया. बाला साहब जन्म शताब्दी वर्ष के समापन पर संतोष गोयल स्मृति भवन निवेदिता कन्या छात्रावास भवन का लोकार्पण किया गया. अतिथियों ने शिलालेख का अनावरण करते हुए नवनिर्मित छात्रावास भवन का लोकार्पण किया. डेढ़ करोड़ की लागत से बने भवन का निर्माण किशन लाल बंसल मुंबई के सौजन्य से कल्याण आश्रम में अध्ययन कर रही वनवासी छात्राओं के लिये कराया गया है.इसमें सौ से अधिक छात्राओं के अध्ययन के लियेअत्याधुनिक सुविधा है, जिसमें सभी पहलुओं को लेकर विशेष ध्यान रखा गया है. जिला मुख्यालय में सर्व संसाधनयुक्त इकलौता बड़ा छात्रावास भवन है.

Vanvasi Kalyan Ashramबाला साहब देशपांडे की जयंती को यादगार बनाने के लिये जिले भर से वनवासी समाज के लोग लोक संस्कृति के रंग में डूबे नजर आये. नगर में तीन स्थानों से लोक संस्कृति के साथ वनवासी नृत्य, गीत और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ शोभायात्रा निकाली गई. तीनों यात्राएं नगर भ्रमण करती हुई नवनिर्मित निवेदिता छात्रावास प्रांगण में समाप्त हुई.

कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदेव राम ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जहां समस्याहोती है, वहीं समाधान भी होता है और यही स्थिति बालासाहब के सामने थी. उन्होंने वनवासी क्षेत्र में ही वनवासियों की समस्याओं के समाधान ढ़ूढ़ें. श्री उरांव ने बाला साहब के साथ किये कार्यों के अनुभव बांटे और कहा कि वनवासी समाज सरल हृदय वाला और स्वाभिमानी प्रवृत्ति का होता है. कार्यक्रम को स्वामी प्रपन्नाचार्य उमाकांत महाराज ने भी संबोधित किया.

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