पटियाला (विसंकें). दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में उपजा अलगाववाद व देशविरोध का वायरस देश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में भी फैल रहा है. पंजाब का पंजाबी विश्वविद्यालय भी अछूता नहीं रहा. जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यलय की तर्ज पर पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला में वामपंथी पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन (ललकार) व डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन ने भारत विरोधी पोस्टर लगाए. इन पोस्टरों में जहां कश्मीर की आजादी, भारतीय शासकों द्वारा धोखे से कश्मीर पर कब्जा करने, भारतीय सेना पर आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के बहाने कश्मीरी औरतों पर अत्याचार के आरोप लगाए हैं. साथ ही लिखा है कि भारत की अखंडता कश्मीर पर जुल्म पर टिकी है तो यह हमें कतई मंजूर नहीं है. इसके अलावा सभी स्टूडेंट्स को पर्चे भी बांटे गए हैं, जिसमें 8 सितंबर को पीयू में कश्मीर की आजादी के समर्थन में निकाले जाने वाले रोष मार्च में शामिल होने की अपील जारी की गई थी. रोष मार्च के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन से संगठन ने कोई अनुमति भी नहीं ली थी.
विद्यार्थियों ने मंगलवार (06 सितंबर) की देर शाम विश्वविद्यालय की दीवारों पर देशविरोधी पोस्टर देखे. इसकी सूचना अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेताओं को लगी, तो उन्होंने फौरन इसकी जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन को दी, पर प्रशासन की ओर से अनभिज्ञता जताई गई. लेकिन प्रशासन ने इन पोस्टरों को वहां से हटवा दिया.
अगले दिन बुधवार को फिर यूनिवर्सिटी में इस तरह के पोस्टर लगा दिए गए, जिनका अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने विरोध किया और परिषद् के महासचिव मनीष कुमार व अंकित राणा के नेतृत्व में विद्यार्थियों ने इन पोस्टरों को फाड़ दिया. पोस्टरों को फाड़ते समय वामपंथी विद्यार्थी संगठनों के कार्यकर्ता भी मौके पर पहुंच गए और दोनों पक्षों में खूब तकरार हुई. पुलिस प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद टकराव टला.
पोस्टरों की आपत्तिजनक शब्दावली
कश्मीर मांगे आजादी, सेव कश्मीर, फ्री आईओके (इंडियन आक्यूपाइड कश्मीर या भारत अधिकृत कश्मीर), यूएनओ पे अटेंशन टू कश्मीर. असीं लड़ांगे…असी लड़ांगे, उन्होंने हमें दफनाना चाहा उन्हें नहीं पता था हम बीज थे. कश्मीर भारत के कब्जे वाला हिस्सा है, जहां नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकार दम तोड़ रहे हैं. मौजूदा हिंदुत्व फासीवाद वाली भाजपा कश्मीर पर जबर बंद करने को नहीं हैं तैयार, इन्हें कश्मीर की धरती से मतलब, लोगों से नहीं.
हां, हम भारत सरकार के खिलाफ हैं. क्या सरकार गलत काम नहीं कर सकती? आप कौन से माहौल खराब होने की बात करते हो? माहौल तो भारत सरकार ने कश्मीर में खराब किया हुआ है. अगर अब हम बोले, तो जरूर माहौल बिगड़ेगा. इसलिए हमने जो लिखा, जो बोला और जो करने जा रहे हैं, वो बिल्कुल सही है. जहां तक पीयू में कश्मीर की आजादी के समर्थन में निकाले जाने वाले रोष मार्च की बात है, तो इसके लिए हमें पीयू प्रशासन से कोई अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. – ललकार सिंह, प्रधान पंजाब स्टूडेंट यूनियन (ललकार).
यूनिवर्सिटी में कुछ लोग देशविरोधी पोस्टर लगा जाते हैं, प्रबंधन को भनक तक नहीं लगती. इसके लिए प्रबंधन जिम्मेदार है. विद्यार्थी परिषद ने जिस तरह से जेएनयू में देश विरोधी ताकतों का विरोध किया था. यहां भी सहन नहीं किया जाएगा. देश की एकता, अखण्डता और सुरक्षा के साथ किसी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता. – मनीष कुमार, महासचिव, एबीवीपी
यह पंजाबी विश्वविद्यालय का आंतरिक मामला है. कुलपति और रजिस्ट्रार मामले को देख रहे हैं. जरूरत पड़ी तो पुलिस कार्रवाई करेगी. – एसएसपी गुरमीत सिंह चौहान
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार दविंदर सिंह ने कहा कि पोस्टर मामले में पुलिस को सूचना दे दी गई थी. पुलिस ने स्टूडेंट्स से मीटिंग कर ली है. पोस्टर लगाना सही या गलत, मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा.