नई दिल्ली. चोरी ऊपर से सीना जोरी की कहावत आज के उस मीडिया वर्ग पर सटीक बैठती है जो पहले तो अपने एजेंडे के अनुसार झूठी व आधारहीन खबरें चलाता है, लेकिन जब मिथ्या प्रचार पर कार्रवाई की तलवार चलती है तो मीडिया की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की आजादी की दुहाई देकर बचने का प्रयास करता है.
वामपंथी सेवादारों का यह चिरपरिचित रवैया बन गया है. द वायर के संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन ने पहले तो एक झूठे ट्वीट के माध्यम से उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री की छवि को खराब करने, मिथ्या प्रचार का प्रयास किया और मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार द्वारा झूठे और आधारहीन ट्वीट पर चेतावनी देने के बावजूद भी सिद्धार्थ वरदराजन ने अपना यह ट्वीट नहीं हटाया. इसके बाद जब सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ एक अप्रैल को कानून की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई तो मीडिया की स्वतंत्रता के नाम पर एक मुद्दा खड़ा करने का प्रयास शुरू कर दिया.
तबलीगी जमात और विभिन्न स्थानों पर स्वास्थ्य विभाग, पुलिस टीमों पर हो रहे हमलों के प्रति जिस गैंग को सांप सूंघ गया था, वह सारा गैंग एकदम से आक्रामक होकर उत्तरप्रदेश सरकार के खिलाफ लामबंद हो रहा है. टुकड़े-टुकड़े व अवार्ड वापसी गैंग को सरकार के खिलाफ मुंह खोलने का अवसर मिल गया.
द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने ट्वीट किया था कि ‘जिस दिन तबलीगी जमात का आयोजन हुआ था, उस दिन योगी आदित्यनाथ ने जोर देकर कहा था कि 25 मार्च से 2 अप्रैल तक रामनवमी के अवसर पर अयोध्या में आयोजित होने वाला एक बड़ा मेला हमेशा की तरह लगेगा और भगवान राम, भक्तों की कोरोनो वायरस से रक्षा करेंगे’. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने सिद्धार्थ वरदराजन के इस झूठे और आधारहीन ट्वीट पर उन्हें आइना दिखाते हुए ट्वीट किया कि ‘झूठ फैलाने का प्रयास न करें, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कभी ऐसी कोई बात नहीं कही है. इसे फौरन डिलीट करें, अन्यथा इस पर कार्रवाई की जाएगी तथा मानहानि का केस भी लगाया जाएगा’.
बावजूद इसके सिद्धार्थ वरदराजन ने ट्वीट डिलीट नहीं किया, तब उनके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज कराई गई. एक अयोध्या के एक निवासी की शिकायत पर और दूसरी कोतवाली नगर पुलिस थाना, फैजाबाद के एसएचओ द्वारा की गई शिकायत के आधार पर. सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ एक साथ दो एफआईआर दर्ज होते ही अवार्ड वापसी गैंग के सदस्यों ने उत्तरप्रदेश सरकार पर हमला शुरू कर दिया. अभिव्यक्ति की आजादी, मीडिया की स्वतंत्रता की दुहाई दी जाने लगी, मीडिया को दबाने का शोर शुरू हो गया. यह गिरोह कोरोना वायरस के साथ तबलीगी जमात के कनेक्शन से ध्यान हटाना चाहता है. पुलिस कार्रवाई के पश्चात द वायर ने वेबसाइट पर एक स्टोरी चलाई है. इसमें सिद्धार्थ वरदराजन पर एफआईआर के खिलाफ 3500 लोगों द्वारा निंदा करने का दावा किया जा रहा है. इसमें न्यायविद, शिक्षाविद, अभिनेता, कलाकार और लेखकों को शामिल बताया गया. इस प्लांटेड स्टोरी में उत्तरप्रदेश सरकार के कदम को मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला बताया गया. सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ प्राथमिकी वापस लेने और सभी आपराधिक कार्यवाही रोकने की बात कही गई.
सिद्धार्थ वरदराजन के समर्थन में खड़ा होने वालों के नाम पर नजर डालेंगे तो स्पष्ट हो जाएगा कि जब कभी देशहित, प्रताड़ित हिन्दुओं (सीएए) की बात आती है या तथाकथित अल्पसंख्यकों द्वारा हिंसा की बात आती है तो ये सभी चुप्पी साध लेते हैं, लेकिन जैसे ही तबरेज, जुनैद जैसी कोई घटना होती है तो ये सब एक साथ अपने बिल से बाहर निकल आते हैं. वहीं झूठी खबरों को फैलाने में सबसे आगे रहते हैं.