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डॉ. नित्यानंद हिमालयी शोध एवं अध्ययन केन्द्र’ का शिलान्यास

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देहरादून (विसंकें). स्व. डॉ. नित्यानंद जी प्रख्यात शिक्षाविद एवं समाजसेवी थे. उनका जन्म आगरा में हुआ था, पर उन्होंने उत्तराखंड को अपनी कर्मभूमि बनाया. नौ फरवरी, 2018 को उनकी जयंती पर देहरादून स्थित ‘दून विश्वविद्यालय’ में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी, विश्व हिन्दू परिषद के संगठन महामंत्री दिनेश चंद्र जी, राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धनसिंह रावत जी, वि.वि. के उपकुलपति डॉ. चंद्रशेखर नौटियाल जी आदि की उपस्थिति में ‘डॉ. नित्यानंद हिमालयी शोध एवं अध्ययन केन्द्र’ का शिलान्यास हुआ.

डॉ. चंद्रशेखऱ जी के अनुसार केंद्र में हिमालय के भूगोल, भूगर्भ शास्त्र, ग्लेशियर, नदियों, मौसम, पर्यावरण आदि विषयों पर एम.ए. तथा अध्ययन एवं शोध होंगे. डॉ. नित्यांनद जी के शिष्य एवं गढ़वाल वि.वि. में भूगोल के रीडर डॉ. देवीदत्त जी ने कहा कि डॉ. साहब के विचारों एवं शोध को आगे बढ़ाने में यह संस्थान मील का पत्थर बनेगा.

सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने कहा कि यहां से भी अधिक विपरीत परिस्थितियां स्विट्जरलैंड आदि पहाड़ी देशों में हैं. पर उन्होंने इसे चुनौती मानकर वहां योजनाबद्ध विकास किया. अतः वहां पर्यटन एक बड़ा कारोबार बन गया है. ऐसा उत्तम जलवायु वाले उत्तराखंड में क्यों नहीं हो सकता ? यहां भी सैकड़ों कामों की गुंजाइश है, पर इसके लिए सबसे पहले हमें अपनी मानसिकता बदलनी होगी.

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने डॉ. साहब को याद करते हुए कहा कि उन्होंने एक साधक की तरह मन, वचन और कर्म से समाज की सेवा की. अवकाश प्राप्ति के बाद वे कुछ समय के लिए संघ की योजना से आगरा गए, पर वहां उनका मन नहीं लगा और फिर वे देहरादून आ गए. सन् 1991 में उत्तरकाशी में आये भूकंप के बाद उन्होंने गंगा घाटी के मनेरी गांव को अपना केन्द्र बनाया. वहां 400 से अधिक मकान बनवाए और जीवन के अंत तक शिक्षा, संस्कार और रोजगार के प्रसार के लिए काम करते रहे. आशा व्यक्त की कि 15 करोड़ रु. की लागत से बनने वाला यह संस्थान एक वर्ष में पूरा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि हिमालय को भूगोलविदों, भूगर्भ शास्त्रियों, वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों एवं अध्यात्म प्रेमियों ने अलग-अलग दृष्टि से देखा है. फिर भी इसके अध्ययन की बहुत गुंजाइश है, चूंकि परिवेश और परिस्थितियां लगातार बदल रही हैं. पलायन रोकने में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार सबसे महत्वपूर्ण है. अतः राज्य की सभी न्याय पंचायतों को विकसित किया जा रहा है, जिससे वे छोटे नगर बनकर आर्थिक वृद्धि में सहायक हों.

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धनसिंह रावत जी ने कहा कि सभी छात्रों को पुस्तकें उपलब्ध हों, इसके लिए ‘पुस्तकदान’ अभियान चलाया जा रहा है. शिलान्यास के बाद आयोजित सभा में देहरादून के गण्यमान्य जन, बुद्धिजीवी, अन्य विश्वविद्यालयों के उपकुलपति, प्राध्यापक, शिक्षाविद, समाजसेवी, डॉ. नित्यानंद जी के पूर्व छात्र, देहरादून के जनप्रतिनिधि तथा वि.वि. के छात्र भी बड़ी संख्या में शामिल हुए.

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