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ड्रैगन को क्षमा नहीं करेगी दुनिया

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विश्वभर में हिंसा, अन्याय, अत्याचार और तानाशाही की प्रतीक बन चुकी कम्युनिस्ट सत्ता का आख़िरी स्मारक, दुनिया में छल कपट और अविश्वास का पर्याय, हर देश की सीमा  पर गिद्ध दृष्टि रखने वाला  चीन लोकतांत्रिक व मानववादी आस्था में भरोसा करने वालों के लिए कभी विश्वसनीय नहीं बन सकता. 21वीं सदी में समूची मानवता के लिए अभिशाप सिद्ध हो रहे Chinese Virus/Wuhan Virus  के लिए संपूर्ण विश्व माओवाद के गढ़ पर सवाल खड़ा कर रहा है. चीन द्वारा पैदा किया गया कोरोना वायरस अपने प्रकोप से हाहाकार मचा रहा है. दुनिया में संभावित तीसरे विश्व युद्ध से विकराल इस कोरोना महामारी ने विश्व के 200 से भी अधिक देशों में 27,000 से ज्यादा निर्दोष जिंदगियां लील ली हैं और लगभग छह लाख से अधिक लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में हैं. अलग-अलग देशों में मरने वालों का आंकड़ा देखें तो इटली में 10,000, स्पेन में 6,000, ईरान में 3,800, चीन में 3,500 (सरकारी आंकड़ा), अमेरिका में 3,000 और इसी तरह ब्रिटेन, फ्रांस व नीदरलैंड जैसे देशों में एक दिन में सैकड़ों जान जा रही हैं.

चीन का इतिहास ही विश्व मंच पर कलंकित छवि और धोखे वाला रहा है. एक तो विशेषज्ञों को यहां के मृतकों के आंकड़े पर संदेह है, केवल वुहान प्रांत तक ही कोरोना सीमित क्यों रहा, ड्रैगन ने दुनिया से इसे क्यों छिपाया …इटली, स्पेन, चेक और सऊदी देशों को बड़ी मात्रा में चीन कोरोना प्रतिरोधक किट, मास्क और अन्य उपकरण कहाँ से भेज रहा है. इटली और स्पेन में तो कोरोना जांच किट दावे के विपरीत लाखों की संख्या में नकली सिद्ध हुयी हैं. सब ओर से घिरता ड्रैगन अब कोरोना को पड़ोसी देशों से तस्करी के माध्यम से आये पशुओं से उपजा बता रहा है. संयुक्त राष्ट्र संघ में अपनी वीटो पॉवर का अवैध इस्तेमाल कर चीन ने इस विनाशक संवेदनशील प्रकरण पर सुनियोजित तरीके से गंभीर चर्चा तक नहीं होने दी, ये सब बातें आगे ड्रैगन के लिए भारी सिद्ध होंगी. अभी अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देश कोरोना से अपने नागरिकों की जान बचाने के लिए जूझ रहे हैं, लेकिन देर सवेर ड्रैगन पर नकेल कसेगी ही, जरूर कसी जानी चाहिए और विश्व को अनायास मौत के मुंह में धकेले जाने के इस षड्यंत्र की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.

भारत में 28 मार्च तक कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या 850 तक पहुँच गयी है तो मृतक संख्या 20 हो गयी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने समय रहते अच्छी तैयारी कर ली थी, जिस कारण भारत में कोरोना के आंकड़ों को देखकर विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र महासंघ अचरज में हैं. विश्वभर में भारत के प्रयत्नों को सराहना मिल रही है. सरकार के साथ संवेदनशील होकर सामाजिक संगठन व स्वयंसेवी संस्थाएं कोरोना से लड़ने वाले कर्मवीर योद्धाओं के साथ भरपूर सहयोग कर रहे हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा की तरह आपदा में समाज व देश के साथ खड़ा होकर अनुकरणीय कार्य कर रहा है. केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और भारत के विवेकी नागरिक 14 अप्रैल तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 21 दिन के लॉकडाउन का यदि ईमानदारी और कर्तव्य मानकर पालन करेंगे तो वाकई भारत कोरोना विजय के माध्यम से स्वयं को पुनः विश्व के सामने शक्तिशाली, विवेकी, जितेन्द्रीय और प्रभावी सिद्ध करने में सफल सिद्ध होगा.

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