पिछले दिनों तिरुमला तिरुपति देवस्थान की एक महिला कर्मचारी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. वीडियो में मंदिर की एक कर्मचारी को परिसर के पास दूसरे धर्म की प्रार्थना करते हुए दिखाया गया था, जिसके बाद सोशल मीडिया और सार्वजनिक रूप से इसकी काफी आलोचना हुई थी. हिन्दू संगठनों और मठों ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थान के प्रबंधन से उस कर्मचारी की शिकायत भी की थी.
अब आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार ने तिरुमला तिरुपति देवस्थानम् (टीटीडी) के कर्मचारियों के लिए एक आदेश जारी किया. आंध्र प्रदेश सरकार ने तिरुमला तिरुपति देवस्थानम् में कार्यरत गैर हिन्दू कर्मचारियों के लिए नौकरी छोड़ने का आदेश जारी किया है. इस आदेश के अनुसार, मंदिर ट्रस्ट में कार्यरत गैर हिन्दू या जिन्होंने हिन्दू धर्म को छोड़कर किसी अन्य पंथ या मजहब को अपना लिया है, उन कर्मचारियों को अपनी नौकरी छोड़नी होगी.
तिरुपति देवस्थानम् में कुल 48 गैर-हिन्दू अधिकारी/कर्मचारी हैं. इसके अलावा अपने आदेश में सरकार ने सभी कर्मचारियों की जांच करने के लिए भी कहा है. सरकार ने टीटीडी में काम करने वाले कर्मचारियों के बारे में जांच के आदेश दिए हैं. मुख्य सचिव एलवी सुब्रमण्यम ने सप्ताह के प्रारंभ में मंदिर का दौरा किया था. तब उन्होंने कहा था कि कर्मचारियों के घरों की भी एकाएक जांच की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे गैर-हिन्दू धर्म का पालन तो नहीं कर रहे हैं.
शुरुआती जांच में यह जानकारी भी मिली है कि नियमों के खिलाफ तिरुमला तिरुपति देवस्थान में कुल 48 गैर हिन्दुओं को नौकरी दी गई है.
सरकारी आदेश
राज्य के मुख्य सचिव एलवी सुब्रमण्यम ने कहा कि ट्रस्ट में काम करने वाले कई कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्होंने हिन्दू धर्म छोड़कर किसी अन्य धर्म को अपना लिया है. हालांकि यह उनका चयन है. उन्हें ऐसा करने से कोई नहीं रोक सकता, लेकिन वे तिरुपति की नौकरी नहीं कर सकते हैं. किसी को भी दूसरों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है. सुब्रमण्यम ने कहा, ये कर्मचारी दुनिया के सबसे अमीर हिन्दू मंदिर तिरुमला का प्रबंधन करते हैं. ऐसे में इन कर्मचारियों को खुद ही साहस दिखाते हुए सामने आकर इस्तीफा देना चाहिए.
आंध्र प्रदेश सरकार ने यह आदेश कुछ संगठनों द्वारा तिरुमला में बढ़ते कन्वर्जन को लेकर जताई गई चिंता के बाद जारी किया है. जिसके मुताबिक पवित्र तिरुपति मंदिर के कई कर्मचारियों का कन्वर्जन करा दिया गया है. बावजूद इसके वह तिरुपति मंदिर में अपनी सेवाएं देते रहे हैं.