सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, एनसीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष पद्मश्री एवीएस राजू ने प्रदान किया पुरस्कार
नई दिल्ली. भारत रत्न नानाजी देशमुख द्वारा स्थापित दीनदयाल शोध संस्थान को प्रतिष्ठित एनसीसी समष्टि सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 28 दिसंबर को हैदराबाद में आयोजित भव्य कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी, एनसीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष पद्मश्री एवीएस राजू ने पुरस्कार प्रदान किया. संस्थान की ओर से संगठन सचिव अभय महाजन ने पुरस्कार स्वीकार किया. प्रशस्ति पत्र के साथ एक करोड़ रुपए की राशि भी पुरस्कार स्वरूप प्रदान की गई.
सरसंघचालक जी ने पुरस्कार प्रदान करते हुए संस्थान के संस्थापक राष्ट्रऋषि नानाजी को भावभीनी श्रद्धांजली दी और कहा कि उन्होंने देश में सेवा व विकास के नए प्रतिमान गढ़े. दीनदयाल शोध संस्थान उन्हीं की कल्पनाशीलता की एक कृति है. समग्र दृष्टिकोण के साथ ग्राम विकास का जो मॉडल नानाजी ने प्रस्तुत किया, वह पूरे देश के लिए अनुकरणीय है. डीआरआई ने समाज जीवन के हर क्षेत्र में काम कर देश के सामने एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है. चित्रकूट के आसपास के पांच सौ से अधिक गाँवों में संस्थान के कामकाज से खुशहाली का जो वातावरण बना है, वह भारत में सेवा शब्द की सही अभिव्यक्ति है.
सरसंघचालक जी ने नानाजी के जीवट व्यक्तित्व को रेखांकित करते हुए उनके शुरुआती जीवन का एक उद्धरण सुनाया. उन्होंने बताया कि एक बार संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार नानाजी के निवास पर गए. वहां एक स्वतंत्रता सेनानी की तस्वीर के नीचे एक पंक्ति लिखी थी – मैं अपने देश के लिए कैसे मर सकता हूँ? इस पर डॉक्टर जी ने नानाजी से कहा कि इस पंक्ति को बदल दो और स्वयं से पूछो कि मैं देश के लिए कैसे जी सकता हूँ. बस, वहीं से नानाजी ने देश के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया.
नानाजी की पुण्यतिथि पर संस्थान के कार्यक्रम में चित्रकूट में आम गांववासियों की जो सहभागिता रहती है, वही नानाजी के प्रति उनके सम्मान का एक जीता जागता उदाहरण है. वे स्वयं इसके गवाह हैं. उन्होंने संस्थान के सैकड़ों कार्यकर्ताओं का अभिनंदन किया.
दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने बताया कि संस्थान समाज के सभी वर्गों के लोगों को साथ लेकर परस्पर पूरकता के आधार पर शिक्षा, स्वास्थ्य, सदाचार, गरीबी एवं बेरोजगारी उन्मूलन के साथ ही कृषिगत विकास, आजीवन स्वास्थ्य संवर्धन की दिशा में सतत प्रयत्नशील है.
महाजन ने कहा कि राष्ट्रऋषि नानाजी देशुमुख ने गांव के विकास में जनता की पहल एवं सहभागिता को अपना ध्येय माना. अपने अभिन्न सखा पं. दीनदयाल उपाध्याय की अकाल मृत्यु के बाद पण्डित जी के विचारों को व्यवहारिक धरातल पर साकार करने की दृष्टि से पण्डित जी के नाम से दीनदयाल शोध संस्थान रुपी बीज 1968 में रोपित किया जो आज वट वृक्ष बनकर विकास की अलख जगा रहा है.
एनसीसी कंपनी व फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री राजू ने डीआरआई के कामकाज की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी टीम ने संस्थान का चयन देशभर में बहुत से संगठनों की समीक्षा करने के बाद किया है. नानाजी के नेतृत्व में संस्थान ने जिस तरह ग्राम विकास का मॉडल विकसित किया और उसके आधार पर विकास किया, वह अनुकरणीय है.