चित्रकूट. दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट द्वारा पं. दीनदयाल उपाध्याय की 52वीं पुण्यतिथि को दीनदयाल पार्क उद्यमिता विद्यापीठ चित्रकूट में समारोह पूर्वक मनाया गया. प्रातःकाल से संस्थान के विविध प्रकल्प गुरुकुल संकुल, उद्यमिता विद्यापीठ, सुरेन्द्रपॉल ग्रामोदय विद्यालय, आरोग्यधाम तथा खादी ग्रामोद्योग आयोग प्रशिक्षण केन्द्र के प्रशिक्षणार्थी एवं बच्चों तथा गुरुमाता-पिता सहित कार्यकर्ताओं ने दीनदयाल जी के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किये तथा कार्यकर्ताओं एवं बच्चों द्वारा पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के जीवन से जुड़े प्रेरणादायी प्रसंगों को दैनिक जीवन में आत्मसात करने हेतु मंचन भी किया गया.
सामूहिक कार्यक्रम के रूप में पं. दीनदयाल पार्क उद्यमिता परिसर में स्थापित लगभग 15 फीट ऊंची प्रतिमा पर माल्यार्पण कर संस्थान के सभी महिला पुरुष कार्यकर्ताओं द्वारा पुष्पांजलि अर्पित की गई. इस अवसर पर संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने बताया कि राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख द्वारा 1968 में पं. दीनदयाल जी के निर्वाण के उपरांत दीनदयाल स्मारक समिति बनाकर उनके काम की नींव दिल्ली में रखी थी. नानाजी द्वारा स्मारक समिति से लेकर दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना तक के सफर में दीनदयाल जी के एकात्म मानवदर्शन को व्यवहारिक रूप में धरातल पर उतारने का कार्य सामूहिक पुरुषार्थ से करके दिखा दिया कि कोई अकेला व्यक्ति या संगठन विकास की प्रतिमा न दिखे, बल्कि जनता स्वयं विकास की वाहक बने. उनका दृष्टिकोण था कि इसमें केवल नाममात्र की भागीदारी प्रक्रिया नहीं होना चाहिये. बल्कि ऐसी हो जिसमें लोगों के लिये लोग हों! वे खुद पहल करें, पुरुषार्थ करें, और विकास की प्रक्रिया के सतत् भागीदार बनें.