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दूसरों की पीड़ा खत्म करने लिए संवेदना जागृत कर रही है सेवा भारती – सुहास राव हिरेमठ जी

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नई दिल्ली (इंविसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सुहास राव हिरेमठ जी ने सेवा भारती की शिक्षिकाओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान किये. नगरीय सेवा बस्तियों में सर्वेक्षण करने वाली सेवा भारती की शिक्षिकाओं को आर्य समाज भवन डोरीवालन में सम्मान व प्रशस्ति पत्र देकर प्रोत्साहित किया गया.

इस अवसर पर सुहास राव हिरेमठ जी ने कहा कि जब दूसरों की पीड़ा देखते हैं, तब मन के अन्दर एक संवेदना जागृत होती है. गरीबी क्या होती है यह वनवासी क्षेत्रों और सेवा बस्तियों में जाकर पता चलती है, उसमें भी महिलाओं का जीवन ज्यादा कष्टकर होता है. पुरुष द्वारा सारी कमाई शराब में खर्च करने से उसे परिवार और आजीविका दोनों देखने पड़ते हैं. लेकिन कोई महिला पुरुषों को अपनी पीड़ा नहीं बताती, वह अपनी सहृदयी महिला को ही अपना दुःख और समस्या बताती है, इसलिए सेवा भारती की बहनें महिला अध्ययन का कार्य कर रही हैं. सेवा बस्तियों की महिलाओं को दैनिक जीवन की आवश्यकताओं से अधिक भूख प्रेम और सम्मान की भी होती है. जिसकी पूर्ति सेवा भारती की कार्यकर्ता बहनें कर रही हैं.

राष्ट्रीय सेवा भारती की सह सचिव रेनू पाठक जी ने बस्ती अध्ययन की भूमिका बताते हुए कहा कि जे.जे. क्लस्टर, स्लम बस्तियों में महिलाओं की वास्तविक स्थिति, उनके जीवनयापन का विस्तृत अध्ययन करने के लिए सेवा भारती ने इन बस्तियों में एक व्यापक सर्वेक्षण किया है. महिला अध्ययन के सर्वेक्षण के दौरान एक ही समय पर 60 शहरों में 30 हजार फॉर्म भरवाए गए. इस अध्ययन की रिपोर्ट प्रमाणिक है, शोध छात्रों के साथ-साथ महिला कल्याण की सरकारी योजनाओं में भी यह अध्ययन उपयोगी सिद्ध होगा.

सर्वेक्षण में पाया गया कि सेवा बस्तियों में महिलाओं और बच्चों की स्थिति में बहुत अधिक सुधार की आवश्यकता है. सेवा भारती द्वारा इसमें पहल की गयी है, बस्तियों में 24 घंटे शौचालयों को खुला रखने, पानी के टैंकर, कामकाजी महिलाओं के बच्चों के लिए बाल वाटिकाएँ, पढ़ने के लिए लाइब्रेरी, बालिकाओं को पढ़ने लिए प्रोत्साहन, नशा मुक्ति अभियान, रोजगार, स्वच्छता, निःशुल्क क्लीनिक जैसे सेवा कार्य इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अध्ययन के अनुसार आरम्भ हो गए हैं.

अध्ययन करने वाली शिक्षिकाओं ने सेवा बस्तियों में अपने अनुभव साझा किये कि आजीविका अर्जित करने के कारण दोपहर में महिलाएं नहीं मिल पाती थीं, उनके बच्चे सड़कों पर इधर-उधर घूमते मिले. पानी, शौचालय, रोजगार आदि की समस्या के कारण उनका जीवन बहुत कष्टदाई है. कार्यक्रम में दिल्ली सेवा भारती के उपाध्यक्ष संजय जी तथा सेवा भारती के कार्यकर्ता उपस्थित थे.

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