मेरठ पुलिस की साइबर सेल की जांच में गड़बड़ी का खुलासा
पुलिस ने वीवो कंपनी के खिलाफ दर्ज की एफआईआर
चीन और चीनी कंपनियां दोनों ही विश्वास के लायक नहीं
नई दिल्ली. चीन और चीन की कंपनियों की विश्वसनीयता हमेशा संदेह के घेरे में रही है. पिछली कुछ घटनाओं को देखें तो स्पष्ट हो जाएगा कि दोनों ही (चीन और उसकी कंपनियां) विश्वास लायक नहीं है. चीन पर कोरोना महामारी फैलाने के आरोप लग रहे हैं, वहीं चीन की कंपनियों पर लोगों की जानकारी चुराने के आरोप लगते रहे हैं. चीन वैश्विक महामारी के दौरान भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. अभी हाल ही में जूम के सर्वर से डाटा चोरी होने का विवाद खड़ा हुआ था. वहीं चीनी एप टिकटॉक पर क्या परोसा जा रहा है, यह भी हम सबके ध्यान में है.
अब चीन की बड़ी मोबाइल कंपनी पर भारत की आतंरिक सुरक्षा के साथ खिलवाड़ का आरोप लगा है. फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद मेरठ में कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. भारत में व्यापार मंदा होता देख फर्जी काम शुरू किया. यह भारत की आंतरिक सुरक्षा के मानकों से खिलवाड़ के साथ बेहद खतरनाक भी है.
चीन की मोबाइल कंपनी वीवो ने भारत में एक ही आईएमईआई (IMEI) नम्बर के हजारों मोबाइल फोन बाजार में उतारे हैं. केन्द्र शासित प्रदेशों और देश के 28 राज्यों में जगह-जगह एक ही आईएमईआई नंबर पर कई मोबाइल फोन सक्रिय होने के प्रमाण पुलिस जुटा चुकी है. उत्तर प्रदेश में एक ही आईएमईआई नंबर पर सक्रिय मोबाइल फोन की संख्या सबसे ज्यादा है. उत्तर प्रदेश में भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश अधिक संवेदनशील है. पुलिस ने नेटवर्किंग कंपनियों व मोबाइल निर्माता वीवो को नोटिस जारी कर दस्तावेज मांगे हैं.
विश्व के हर मोबाइल फोन में आईएमईआई यानि इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी नम्बर होता है. यह एक तरह से मोबाइल की पहचान है. कोई भी कंपनी एक मोबाइल को एक आईएमईआई देती है. नियम को धत्ता बताते हुए चीन की मोबाइल कंपनी ने देशभर में प्रयोग में आ रहे करीब 13,500 से अधिक मोबाइल को एक आईएमईआई नम्बर के साथ उतारा है. भारत में एक ही आईएमईआई नम्बर के 13 हजार से अधिक मोबाइल फोन होने का मामला सामने आने पर मेरठ पुलिस ने चीन की मोबाइल कंपनी वीवो के खिलाफ केस दर्ज किया है. मेरठ जोन पुलिस की साइबर क्राइम सेल की जांच में यह बड़ा खुलासा हुआ.
ऐसे हुआ गड़बड़ी का खुलासा
अपर पुलिस महानिदेशक मेरठ के कार्यालय में तैनात सब इंस्पेक्टर आशाराम के पास वीवो कंपनी का मोबाइल है. स्क्रीन टूटने पर उन्होंने इसको बदलने के लिए 24 सितंबर, 2019 को मेरठ में दिल्ली रोड के वीवो के सर्विस सेंटर पर दिया. बैट्री, स्क्रीन और एफएम बदलकर सर्विस सेंटर ने उन्हें मोबाइल दे दिया. इसके कुछ दिन बाद ही मोबाइल में डिस्प्ले पर एरर आना शुरू हो गया. इसके बाद मामले की शिकायत होने पर तत्कालीन एडीजी प्रशांत कुमार ने मेरठ जोन पुलिस के साइबर क्राइम सेल प्रभारी प्रबल कुमार पंकज व साइबर एक्सपर्ट विजय कुमार को जांच का निर्देश दिया. जांच में पता चला कि आशाराम के मोबाइल के बॉक्स पर जो आईएमईआई लिखा हुआ है, वह वर्तमान में मोबाइल में मौजूद आईएमईआई से अलग है. इसके बाद 16 जनवरी, 2020 को सर्विस सेंटर मैनेजर ने जवाब दिया कि आईएमईआई नहीं बदला गया.
मामले की गंभीरता को देखते हुए साइबर सेल ने मोबाइल में जियो कंपनी का सिम था, उस आईएमईआई को टेलिकॉम कंपनी को भेजकर डाटा मांगा. वहां से रिपोर्ट आई कि 24 सितंबर, 2019 को सुबह 11 से 11.30 बजे तक अलग-अलग राज्यों के वीवो मोबाइल के इसी आईएमईआई नम्बर पर 13557 फोन चल रहे हैं.
एक मामले में जांच के बाद हुआ खुलासा
मीडिया को एडीजी मेरठ राजीव सबरवाल ने बताया कि एक शिकायत पर केस में जांच हुई. पता चला कि वीवो मोबाइल कंपनी के एक आईएमईआई नम्बर पर कई हजार मोबाइल चल रहे हैं. यह नियमों का उल्लंघन के साथ देश की सुरक्षा के लिहाज से भी खतरा है. उस आईएमईआई वाले मोबाइल से कोई अपराध हुआ तो हम अपराधी को पकड़ भी नहीं पाएंगे. इस मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया है. कंपनी से बात होगी कि यह कैसे हुआ.
कुछ वर्ष पहले जब चाइनीज फोन आए थे, तब उनका आईएमईआई नंबर एक ही होता था. सुरक्षा के लिहाज से यह खतरा था. भारत सरकार ने सभी नंबरों को ब्लैक लिस्ट किया था. इसके बाद ट्राई के नियम लागू हुए. इसके तहत एक आईएमईआई सिर्फ एक मोबाइल को दिया जा सकता है.
मोबाइल कंपनी वीवो के नोडल अधिकारी को नोटिस
साइबर सेल ने पूरे मामले में वीवो इंडिया के नोडल अधिकारी हरमनजीत सिंह को 91 सीआरपीसी के तहत नोटिस दिया. नोटिस के जवाब से पुलिस संतुष्ट नहीं हुई. वह यह भी नहीं बता पाए कि ट्राई के किस नियम के अनुसार एक आईएमईआई एक से ज्यादा मोबाइल नंबर पर सक्रिय है. साइबर सेल के अनुसार इस मामले में मोबाइल कंपनी की घोर लापरवाही और ट्राई के नियमों का उल्लंघन है. एक ही आईएमईआई पर कई मोबाइल सक्रिय होना सुरक्षा को लेकर बड़ा खतरा हो सकता है.
हर मोबाइल में सॉफ्टवेयर के दो पार्ट
प्रत्येक मोबाइल में सॉफ्टवेयर के दो पार्ट (कनेक्टिंग और ऑपरेटिंग) होते हैं. कुछ कंपनियां मोबाइल का सॉफ्टवेयर समय-समय पर अपडेट करती रहती हैं. वीवो कंपनी के मोबाइल में आसानी से आईएमईआई कैसे बदल दिया गया, इसका पता लगाने के लिए कंपनी से सिक्योरिटी फीचर की जानकारी मांगी गई है. इसकी जांच कराई जा रही है.
उल्लंघन अपराध की श्रेणी में
किसी भी मोबाइल के फीचर में प्रवेश करने के लिए मोबाइल निर्माता कंपनी के डेमो वाले आईएमईआई नंबर की आवश्यकता होती है. डेमो नंबर कंपनी के अधिकृत सर्विस सेंटर को दिया जाता है. नंबर का उपयोग कर मोबाइल को फॉर्मेट करने के बाद मोबाइल में पुरानी आईएमईआई नंबर डाल दी जाती है. विशेष परिस्थिति में मोबाइल का आईएमईआई नंबर बदलने के लिए सुरक्षा की दृष्टि से नियम बनाए गए हैं, जिनका उल्लंघन अपराध की श्रेणी में आता है.
इनपुट – जागरण