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देशभर में संघ द्वारा चलाए जा रहे 1 लाख 52 हजार सेवा कार्य – डॉ. भगवती प्रकाश जी

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Press Confrence RSS 160322 082उदयपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजस्थान क्षेत्र द्वारा विश्व संवाद केन्द्र उदयपुर में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया. क्षेत्रीय संघचालक डॉ. भगवती प्रकाश जी ने कहा कि देश भर में संघ शाखाओं की संख्या बढ़ी है. स्वयंसेवकों के प्रयत्नों से सेवा कार्यों के माध्यम से सामाजिक समरसता बढ़ रही है.

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में प्रस्तुत वृत के अनुसार देशभर में पिछले वर्ष की तुलना में 5524 शाखाओं की वृद्धि होकर 36637 स्थानों पर 56859 शाखाएं चल रही है. राजस्थान में अभी प्रत्येक खण्ड (तहसील) तक संघ कार्य है. चार – पांच गांवों को मिलाकर बनने वाली मण्डल इकाई, जिसमें लगभग आधे मण्डलों में शाखा लगती है. स्वयंसेवकों द्वारा देशभर में अभी शिक्षा, चिकित्सा एवं संस्कार स्वावलम्बन के लिए विभिन्न प्रकार के सेवा कार्य चलाये जा रहे हैं. इन सेवा कार्यों की संख्या 1,52,388 है, जिसमें सर्वाधिक 81278 शिक्षा, 22741 स्वास्थ्य, 28388 सामाजिक संस्कार एवं 21981 सेवा कार्य स्वावलम्बन के लिए चल रहे हैं. इन सेवा कार्यों के माध्यम से स्वयंसेवकों के प्रयास से समाज में सामाजिक समरसता का माहौल बढ़ रहा है. संघ कार्य का यह विस्तार केवल भारत में ही नहीं, वरन भारत के बाहर लगभग 38 देशों में 800 स्थानों पर संघ शाखाएं चल रही हैं. इसके अतिरिक्त लगभग 80 अन्य देशों में सेवा कार्य सहित विभिन्न प्रकार के प्रयत्नों द्वारा विश्व विभाग काम कर रहा है. कुछ कैरेबियाई देशों में वहां के मूल निवासियों की शाखाएं भी प्रारम्भ हुईं जो विदेशों में बढ़ते संघ कार्य का संकेत है.

यह वर्ष गुरू गोविन्द सिंह जी  का 350वां प्रकाश वर्ष है. गुरू गोविन्द सिंह जी ने औरंगजेब के भीषण अत्याचारों का डटकर मुकाबला किया, अपना सम्पूर्ण परिवार धर्म पर वार दिया, और सम्पूर्ण  समाज का नेतृत्व करते हुए समाज को अत्याचार के सामने न झुकते हुए, धर्मान्तरण के विरूद्ध सम्पूर्ण समाज को खड़ा किया. उनके नेतृत्व एवं बलिदान के कारण ही पूरा समाज भीषण अत्याचारों को सहते हुए अपने धर्म का पालन करते हुए अडिग खड़ा रहा. प्रकाशोत्सव हम सब के लिए धर्म रक्षा हेतु कटिबद्ध होने की प्रेरणा देने वाला अवसर है.

इस वर्ष रामानुजाचार्य जी का 1000वां जन्मदिवस है. रामानुजाचार्य जी ने अपने आश्रमों में लगभग 1000 पूर्व समाज के तथाकथित अस्पृश्य समझे जाने वाले समाज बन्धुओं को मन्त्र दीक्षा देकर शिष्य बनाया. ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम रामानुजाचार्य जी ने ही किया था, सामाजिक समरसता की आवश्यकता एवं महत्व को समझकर भेदभाव एवं ऊंचनीच को मिटाने का प्रयत्न इतना पहले प्रारम्भ कर दिया था. सामाजिक समरसता के कार्य में लगे हम सब के लिए यह एक प्रेरक अवसर है. उनके जीवन एवं कार्यों से प्रेरणा प्राप्त कर समरसता के लिए तेज गति से कार्य करने कि आवश्यकता है.

बैठक में गुणवत्ता पूर्ण एवं सर्व सुलभ शिक्षा, चिकित्सा उपलब्ध करवाने पर प्रस्ताव पारित किये गए. साथ ही सामाजिक समरसता को व्यवहार का विषय बनाने का आग्रह करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया. डॉ, भगवती प्रकाश जी ने कहा कि भारत के किसी भी शास्त्र में छुआछूत एवं भेदभाव को स्थान एवं मान्यता नहीं है. सशक्त, समृद्ध, राष्ट्र बनाने के लिए समरसता का व्यवहार आवश्यक है, स्वयंसेवक सहित सम्पूर्ण समाज इस दिशा में प्रयास करे, इस आह्वान को लेकर शिक्षा, चिकित्सा एवं समरसता तीन विषयों पर प्रस्ताव पारित किए गये है.

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