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देश, समाज की उन्नति के लिये मातृशक्ति का जागरूक होना जरूरी है – डॉ. मोहन भागवत जी

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जम्मू में नारी शक्ति संगम

15094386_341406452889751_4926395836917460473_nजम्मू (विसंकें). राज्य के दो दिवसीय प्रवास पर आए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने शक्ति नगर के ईडन गार्डन में आयोजित नारी शक्ति संगम कार्यक्रम में संबोधित किया. उन्होंने कहा कि मातृशक्ति के मार्गदर्शन से ही सारा विश्व चलता है, बिना इनके सहयोग के पूरे देश में जागृति नहीं हो सकती. समाज में लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं हैं, इसलिए समाज की उन्नति के लिए मातृशक्ति का जागरूक होना जरूरी है. बिना उनके देश, कुटुंब या अपने भाग्य में भी परिवर्तन संभव नहीं है. महिलाओं व पुरूषों में श्रेष्ठता की प्रतिस्पर्धा नहीं होनी चाहिए. न तो सिर्फ महिला श्रेष्ठ है और न ही सिर्फ पुरूष, बल्कि दोनों आपसी सहयोग से श्रेष्ठ बनते हैं. दोनों सब प्रकार के काम कर सकते हैं, किन्तु कुछ काम ऐसे हैं जो केवल महिलाएं ही कर सकती हैं. बच्चों को मातृत्व, वात्सल्य, संस्कार महिला ही दे सकती है.

सरसंघचालक जी ने कहा कि पुरूष व महिला के बिना प्राकृति चल ही नहीं सकती. दोनों एक ही तत्व एवं एक-दूसरे के पूरक हैं. प्रकृति की कल्पना ही माताओं-बहनों से है. प्रकृति अनिवार्य है, जैसे शिव में शक्ति न हो तो शिव शव हो जाता है, वैसे ही बिना महिलाओं के पुरूष का अस्तित्व ही नहीं रहता. महिलाओं का सम्मान करना चाहिए, तभी घर, समाज व देश खुशहाल व उन्नत हो सकता है. उन्होंने महिलाओं की राष्ट्र के प्रति भूमिका पर संदेश देते हुए कहा कि महिलाओं को परिवार के साथ-साथ समाज, देश व सामाजिक कार्यों के लिए समय निकालना चाहिए, तभी राष्ट्र का निर्माण होगा.

jammu1उन्होंने कहा कि भारत की सब भाषाएं अपनी भाषाएं हैं और इन सबकी जननी संस्कृत है. हमें अपने बच्चों को अपनी मातृभाषा से जरूर जोड़े रखना चाहिए. स्त्री मुक्ति नहीं, बल्कि मातृशक्ति जागरण होना चाहिए. महिलाओं का सशक्तिकरण व जागरण करना जरूरी है क्योंकि एक माता ही अपने बच्चों को उनके कर्तव्य के प्रति जागरूक करती है. देश व समाज के लिए बलिदानों की परंपरा महिलाओं के संस्कारों की ही देन है. उन्होंने महिलाओं का आह्वान करते हुए कहा कि उन्हें समाज कार्य में सक्रिय होने के लिए किसी संगठन, संस्था की आवश्यकता नहीं है. अपने घर को ही छोटा भारत बनाते हुए समाज के लिए कुछ समय निकालना, कुछ सेवा के कार्य करना, सीखना, सिखाना शुरू करना चाहिए. इसमें किसी की राह नहीं देखनी चाहिए, बल्कि चलना प्रारंभ करना चाहिए, धीरे-धीरे सब काम होते चले जाएंगे. अपने परिवार व कुटुंब से भी काम शुरू कर सकते हैं.

डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि प्रकृति की प्रतिनिधि महिला है, उसी की इच्छा से सब कुछ होने वाला है. इसलिए प्रतीक्षा न करें, बल्कि अपने घर-परिवार से काम करना शुरू करें. फिर राष्ट्र निर्माण में ज्यादा समय नहीं लगेगा. पुरूषों को चाहिए कि वह महिलाओं को प्रोत्साहित करें. तभी परिवार, समाज व देश में खुशहाली आ सकती है. इसके लिए हम सबको सक्रिय होना होगा.

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि व महिला समन्वय की राष्ट्रीय संयोजिका गीता गुण्डे जी ने कहा कि समाज में नारी शक्ति का जागरण हो रहा है और देश के पुर्ननिर्माण में उसका जो योगदान हो रहा है, उसके परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं. कुछ करने से ही महिलाओं में आत्म विश्वास आता है. इसलिए महिलाओं को कुछ समय निकाल कर समाजहित काम करने के लिए आगे आना चाहिए. इस अवसर पर लद्दाख फांदे छोक्सपा की अध्यक्षा रिचंन आंगमो जी ने कहा कि महिलाओं की भागीदारी से लद्दाख में बड़ा परिवर्तन आया है और लद्दाखी महिलाएं रोजगार के लिए स्वयं पर निर्भर हो रही हैं. कार्यक्रम की संयोजिका नीलम शर्मा जी थीं.

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