
जालंधर (विसंकें). स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संयोजक कश्मीरी लाल जी ने कहा कि भारत प्राकृतिक संसाधनों के साथ-साथ मानव संसाधन व बौद्धिक क्षमता संपन्न राष्ट्र तो है परंतु चुनौती यह है कि उदारीकरण के दौर में हमारे संसाधनों का प्रयोग अपने देश के विकास में कैसे हो. स्वदेशी जागरण मंच ने इसी विषय को लेकर देशभर में चर्चा शुरु की है और देशवासियों को मंत्र दिया है कि स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करके ही हम अपने संसाधनों का प्रयोग अपने देश के विकास के लिए कर सकते हैं.
गोपाल नगर स्थित पीली कोठी में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने बौद्धिक पलायन व कच्चे माल के बढ़ रहे निर्यात और तैयार माल के आयात में उछाल पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि स्वदेशी की अवधारणा विश्वव्यापी है और दुनिया का हर देश अपने नागरिकों को इसके लिए प्रोत्साहित कर रहा है. बहुत बड़े संसाधन व बौद्धिक ऊर्जा लगा कर हम उच्च श्रेणी के डाक्टर, आईटी प्रोफेशनल, इंजीनियर व अन्य टेक्नोक्रेट्स तैयार करते हैं, परंतु कुशलता प्राप्त करने के बाद इनकी प्राथमिकता विदेश में सेवा करने की रहती है. इस बौद्धिक पलायन का परिणाम निकलता है कि हम इन विशेषज्ञों की सेवाओं से वंचित रह जाते हैं. इसी तरह कच्चे माल का निर्यात बढ़ने और उसकी एवज में उसी कच्चे माल से तैयार माल का आयात बढ़ने से हमारी भौतिक संपन्नता से विश्व के दूसरे देश लाभान्वित हो रहे हैं. हमें इस क्रम को बदलना होगा. जिस दिन हम स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करना शुरू कर देंगे, हमारे देश के उद्योग विकसित होंगे, विभिन्न वस्तुओं का निर्माण अपने ही देश में होने लगेगा और देश की संपत्ति देश में ही रहेगी.

समारोह के मुख्यातिथि भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के प्रांतीय सहसंयोजक राजिंद्र कुमार शिंगारी ने बताया कि स्वदेशी की भावना का तभी विकास हो सकता है, जब हम अपने परंपरागत जीवन शैली को अपनाएं व अपने नैतिक मूल्यों के अनुसार जीवन व्यतीत करें. स्वदेशी के माध्यम से ही कूका संप्रदाय के मुखिया सदगुरू राम सिंह कूका, लाला लाजपत राय और गांधी जी ने ब्रिटिश राज्य से लोहा लिया था. स्वदेशी ने जहां हमें आजादी दिलवाई, वहीं आज स्वदेशी की जरूरत देश के विकास में सर्वाधिक है. समारोह के दौरान स्वदेशी जागरण मंच के क्षेत्रीय संयोजक कृष्ण लाल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महानगर सह संघचालक विजय गुलाटी सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे. स्वदेशी जागरण मंच द्वारा प्रांतों में विभिन्न स्तरों पर संगोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है.

