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दैनिक शाखा, क्रमबद्ध प्रशिक्षण तथा सतत प्रवास से कार्यकर्ता संभाल व आत्मीय संबंध बनता है – डॉ. मोहन भागवत जी

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नागौर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि संघ की शाखा के कार्यक्रमों का प्रकार एवं उनका वैशिष्ट्य कुछ इस प्रकार का ही है, जिससे सहज देश भक्ति के गुण संस्कार का उदय स्वयंसेवकों के मन पर होता है और इसीलिए संघ के स्वयंसेवक में अनुशासन राष्ट्रभक्ति का गुण सहज ही पाया जाता है. ऐसा समाज के अनुभव संघ के विषय में हैं. प्रतिदिन शाखा में आते हुए शाखा की प्रत्यक्ष कार्यकर्ता निर्माण शैली और शाखा के कार्यक्रम, जिनसे स्वयंसेवक में अनुशासन, सेवाभाव, सामाजिक संवेदना, देश भक्ति के भाव का निर्माण होता है. सरसंघचालक जी नागौर स्थित शारदा विद्या निकेतन के निवेदिता छात्रावास के सभागार में आयोजित राजस्थान क्षेत्र के तीनों प्रांतों की कार्यकारिणी की बैठक में कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने दैनिक शाखा की उपादेयता के साथ साथ संगठन कौशल पर कहा कि कार्यकर्ता के सतत् प्रवास से कार्य व कार्यकर्ताओं की संभाल होती है तथा आत्मीय संबंध बनते हैं. ऐसे अनौपचारिक संबंधों के कारण ही हम अपने संगठन में परिवार भाव का अनुभव करते हैं.

प्रांत कार्यकारिणी की इस बैठक में सरसंघचालक जी की उपस्थिति में प्रांतों के अंतर्गत संघ कार्य की समीक्षा, कार्य विस्तार, स्वयंसेवकों द्वारा चलाए जा रहे उपक्रम, एवं कार्य दृढीकरण पर चर्चा हुई.

प्रांत कार्यकारिणी के सभी कार्य विभाग शारीरिक, बौद्धिक, संपर्क, सेवा, व्यवस्था, एवं प्रचार विभाग के कार्य उसके लिए प्रशिक्षण व संभाल तथा प्रवास की आवश्यकता उनकी शैली पर चर्चा की गई.

सभी जिला कार्यकारिणी अपने जिले के संबंध में टोली भाव के साथ मिलकर अपने जिले में संघ कार्य, विविध सामाजिक कार्य, स्वयंसेवकों द्वारा उपक्रम, आदि के विषय में स्वयं विचार कर निर्णय लेने में सक्षम बनें.

प्रांत कार्यकारिणी की भूमिका को स्पष्ट करते हुए सरसंघचालक जी ने कहा कि वैसे भी स्वयंसेवक का स्वभाव समन्वय का होता है. सभी को साथ लेकर चलना, सभी को संस्कार रचना हेतु संगठन के साथ जोड़ना, सभी में राष्ट्र भाव का निर्माण करना, यही स्वयंसेवक करता है. अतः प्रवास के माध्यम से जिला टोलियों से शाखा टोलियों तक प्रवास, प्रशिक्षण, आत्मीयता पूर्ण अनौपचारिक संबंध होते हैं.

अपराह्न तक प्रांत कार्यकारिणी की बैठक के साथ मोहन भागवत जी का नागौर प्रवास पूर्ण हुआ. विभिन्न संगठनात्मक कार्यक्रमों के साथ, हर वर्ष शाखा व संघकार्य की नियमित सम्भाल समीक्षा का यह सरसंघचालक प्रवास कार्यक्रम रहा.

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