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दोष मुक्त, समरस, समर्थ समाज की निर्मिति से ही समाज का पुरुषार्थ प्रकट होगा – डॉ. मोहन जी भागवत

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अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक रांची 2015
अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक रांची 2015

रांची (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की तीन दिवसीय बैठक के समापन सत्र को संबोधित करते हुए पू. सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत ने कहा कि संघ कार्य के चलते हुए 90 वर्ष का समय बीत चुका है. अनेक प्रकार के विरोध-अवरोध, बाधाओं को पार करता हुआ संघ का कार्य अधिक समाजव्यापी और देश व्यापी हो रहा है. समाज का संघ कार्य को मिलने वाला सहकार, सहयोग और समर्थन लगातार बढ़ रहा है. संघ के राष्ट्र निर्माण के मंत्र और व्यक्ति निर्माण के तंत्र द्वारा निर्मित कार्यकर्ताओं के त्याग, पुरूषार्थ और अथक परिश्रम के कारण ही संघ को यह सफलता प्राप्त हुई है. जिस प्रकार से और जितनी बड़ी मात्रा में समाज का हर प्रकार का वर्ग संघ के साथ जुड़ रहा है, उन सब को अपने साथ लेने के लिए संघ की परम्परा के अनुसार अपना मंत्र और तंत्र वही रखते हुए स्वयंसेवकों को अपने व्यवहार में लचीलापन रहना चाहिए.

सरसंघचालक जी ने कहा कि कार्य विस्तार की यही दिशा और गति कायम रखते हुए समाज को साथ लेकर समाज परिवर्तन के प्रयास गतिमान करने होंगे. दोष मुक्त, समरस, समर्थ समाज की निर्मिति से ही समाज का पुरूषार्थ प्रकट होकर भारत खड़ा होगा और बड़ा होगा. समाज में प्रचलित जातिगत विषमता को दूर करते हुए अपनी संस्कृति के महान तत्वों को जीवन में प्रत्यक्ष आचरित करते हुए निःस्वार्थ भाव से, समाज में कार्य करने की प्रेरणा जगानी होगी.

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