नई दिल्ली (इंविसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार जी ने होली और वैलेंटाइन डे में अंतर की व्याख्या करते हुए कहा कि पश्चिम में लड़का और लड़की के बीच प्यार का जो भोग किया जाता है, उससे जो त्यौहार जन्मा उसे अंग्रेजी में वेलेंटाइन डे कहते हैं अर्थात वेलेंटाइन वासनाओं में जकड़ने का त्यौहार है और होली वासनाओं से मुक्ति का त्यौहार है. दिल्ली विश्वविद्यालय के अतिथि गृह में विश्व ग्राम द्वारा आयोजित होली के रंगारंग कार्यक्रम “संस्कृति के रंग” में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए इन्द्रेश कुमार जी ने कहा कि “होली” अर्थात “पवित्रता” का त्यौहार बेटी के जन्म के उत्सव के रूप में मनाया जाना चाहिए. यही होली का पहला संदेश है.
उन्होंने कहा कि त्यौहार का आध्यात्मिक संदेश यह है कि जुआ, बलात्कार, उत्पीड़न इत्यादि करके हम ईश्वर के खिलाफ अपराध करते हैं, क्योंकि इस सृष्टि की रचना औरत के गर्भ से ही होती है. लेकिन प्यार में जब सद्भावना होती है तो इससे होली के त्यौहार का जन्म होता है. उन्होंने होली के रंगों के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि होली में रंग मनुष्य के शरीर के साथ-साथ दिल और दिमाग की गन्दगी और वासनाओं को भी धो देता है. इसलिए होली दिल और दिमाग की सफाई करने का त्यौहार है. होली का मुख्य उद्देश्य है, दिल और दिमाग का शुद्धिकरण करना. होली अनैतिकता के जाने तथा नैतिकता के आने का त्यौहार है. होली धार्मिक कट्टरता, अस्पृश्यता, विषमता आदि से मुक्ति पाने का त्यौहार है. उन्होंने कहा कि होली का उद्देश मनुष्य के अन्दर मनुष्यता की भावना पैदा करना है. होली का सन्देश शांति, भाईचारा, प्रेम का विकास और दिल व दिमाग की शुद्धता है.
कार्यक्रम का शुभारम्भ सुकृति माथुर ने अपनी मधुर आवाज में होली का गीत गाकर किया. इसके पश्चात विश्वग्राम के महासचिव डॉक्टर राजबीर सोलंकी जी ने मुख्य अतिथि इन्द्रेश कुमार जी, विश्वविद्यालय के गण्यमान्य व्यक्तियों, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का स्वागत किया. इन्द्रेश कुमार जी का विस्तृत परिचय कराया. विश्वग्राम की अध्यक्षा प्रोफेसर डॉक्टर गीता सिंह जी ने होली मिलन के कार्यक्रम को “संस्कृति के रंग” की संज्ञा देते हुए उद्देश्य के बारे में बताया कि यूनेस्को ने 21वीं सदी में छात्रों के लिए एक साथ रहने और जीने की कला को सीखने का जो लक्ष्य रखा है, उसको प्राप्त करने का यह एक प्रयास है.
कार्यक्रम में उत्तर-पूर्व, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हरियाणा और पंजाब के छात्र कलाकारों ने रंगारंग मंत्रमुग्ध करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये.