पटना (विसंकें). पत्रकार स्वयं से संवाद करता है, तभी वह आस-पास में घट रही घटनाओं को समाचार का रूप दे पाता है. घटनाओं को शब्द का रूप देने के लिए पत्रकार मन के अंदर संवेदना अनिवार्य है. आधुनिक बाजार वाद के दौर में भी पत्रकारिता एक पवित्र पेशे के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए है. शुक्रवार को विश्व संवाद केंद्र के ‘स्नेह मिलन’ कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए. वक्ताओं ने कहा कि उपभोक्तावाद और बाजारवाद के दबाव में पत्रकारिता अपने धर्म से विमुख हो रही है. इस पतन को रोकने के लिए एवं पत्रकारिता को उसकी आत्मा से जोड़े रखने के लिए यह आवश्यक है कि नई पीढ़ी को सारोकार आधारित पत्रकारिता के कौशल से परिचित कराया जाए.
स्नेह मिलन कार्यक्रम के दौरान उपस्थित पूववर्ती छात्र-छात्राओं ने संस्था से जुड़े अपने अनुभव साझा किए और भविष्य में होने वाले कार्यक्रमों के संबंध में अपने सुझाव दिए. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक शिक्षण प्रमुख स्वांत रंजन जी थे. कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार एवं हिन्दुस्थान समाचार की राज्य प्रमुख रजनी शंकर, स्वत्व के संपादक कृष्णकांत ओझा, देवेंद्र मिश्र, अफजल इंजीनियर ने अपने विचार व्यक्त किए. इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र कार्यवाह डॉ. मोहन सिंह जी सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे.