छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में हाल ही में एक ऐसी घटना हुई, जिसके बाद बुनियादी सुविधाओं को पूरा करने में लगे कर्मचारी खौफ में हैं. दंतेवाड़ा जिले के पालनार-मुलेर सड़क के सर्वे के लिए गए दो कर्मचारी और एक ठेकेदार को नक्सलियों ने अगवा कर लिया था. उन्हें 44 घंटे अपनी मांद में रखने के पश्चात नक्सलियों ने छोड़ा. नक्सलियों ने भविष्य में विकास कार्य नहीं करने की चेतावनी देते हुए तीनों को अपने कब्जे से रिहा किया. नक्सलियों ने पीएमजीएसवाई के सब इंजीनियर अरुण मरावी, मनरेगा के तकनीकी सहायक मोहन बघेल और पेटी ठेकेदार मिंटू राय को अगवा कर लिया था, इसके बाद से ही नक्सली लगातार अपनी लोकेशन बदल रहे थे.
इंजीनियर, तकनीकी सहायक और ठेकेदार एक गाड़ी में ककाड़ी गांव पहुँचे थे. तीनों अरनपुर कैम्प से गाड़ी में निकले थे. गाड़ी खड़ी करने बाद सड़क के सर्वे के लिए सरपंच से बात करने को उसके घर पहुंचे. सरपंच घर पर मौजूद नहीं थे, इस कारण तीनों उनके घर पर इन्तजार करने लगे. इसी बीच दो लोग उनके पास आए और पूछताछ करने लगे. उन लोगों ने हथियार, मोबाइल और गाड़ी की चाबी भी ले ली. शाम होते ही ये लोग तीनों को अपने साथ जंगल में ले गए.
अगवा हुए तीनों युवकों के अनुसार उन्हें गांव से करीब 10 किमी दूर जंगल में ले गए थे. और रात होते ही एक जगह कैम्प लगाकर रखा. वहीं खाना बनाया और उन्हें भी खिलाया. सभी नक्सली किसी का इंतज़ार कर रहे थे. खाना खाने के बाद सभी जल्दी जल्दी लोकेशन बदल रहे थे. फिर एक गहरी अंधेरी जगह में रुक कर कुछ देर इंतज़ार किया और सोने की तैयारी करने लगे. उन्हें चादर और अन्य चीजें दी गई.
इंजीनियर ने बताया कि अगले दिन भी उन्हें पूरे दिन जंगल में ही रखा गया. पूरे दिन में 5-6 बार लोकेशन बदली गई. सुबह नाश्ता और दोपहर और रात में खाना दिया. दूसरी रात में कुछ लोग वहां आए, शायद ये वही लोग थे जिनका सभी इंतज़ार कर रहे थे. अगले दिन तीनों युवकों को एक क्षेत्र में ले जाकर छोड़ दिया. नक्सलियों ने चेतावनी दी कि अगली बार यहां सड़क के काम से मत आना, अन्यथा श्यामगिरी की घटना जैसा अंजाम होगा.
तीनों अगवा युवकों की एक ही गलती थी कि क्षेत्र के पिछड़े और जनजाति समाज की सुगमता के लिए सड़क व्यवस्था करना चाहते थे. लेकिन नक्सलियों/माओवादियों को विकास पसंद नहीं है. नक्सली अपने क्षेत्र में विकास में बाधा डालते आए हैं.