नई दिल्ली. कोरोना से जंग के दौरान सबसे अधिक प्रभाव श्रमिक वर्ग पर पड़ा है. प्रवासी श्रमिक पैदल ही अपने घरों की ओर निकल पड़े हैं. ऐसे ही 4 दिनों से पैदल चलकर 67 श्रमिक घोर नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सुकमा (Sukma) जिले के जगरगुण्डा पहुंचे, जहां पुलिस (Police) ने उन श्रमिकों को रोक दिया. ग्रामीणों की मदद से पुलिस ने उन्हें गांव में ठहराया और खाने की व्यवस्था की. वहीं इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को दी. मंगलवार को घोर नक्सल प्रभावित जगरगुण्ड़ा गांव के समीप अचानक लोगों का झुंड दिखा, तो पुलिस भी चौकन्ना हो गई. दरअसल, इस क्षेत्र में इतने लोग एक साथ नहीं दिखाई देते हैं. करीब 67 श्रमिक अपने कंधों पर सामान लेकर पैदल ही चल रहे थे.
पूछताछ करने पर उन्होंने बताया कि वे एक पावर प्लांट में कार्य करते हैं, और पैदल चलते हुए चार दिन में यहां पहुंचे हैं. आगे झारखंड के गढ़वा जिला जाना है. थाना प्रभारी अशोक यादव ने उन सभी श्रमिकों को गांव के समीप आश्रम के सामने पेड़ के नीचे ठहराया और ग्रामीणों की सहायता से खाने की व्यवस्था की. जिला पंचायत सदस्य अदम्मा मरकाम, दुर्गा नायडू व सुरेश पोंदी ने उन सभी श्रमिकों के लिए खाने की व्यवस्था की. श्रमिकों को सोशल डिस्टेंस में बैठाया गया और इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को दी गई.
अर्लट हो गए थे जवान
जगरगुण्ड़ा गांव जो पूरी तरह कंटीले तारों से घिरा हुआ है. यहां पर जवान दिन-रात तैनात रहते हैं. शाम ढलते ही ना तो कोई बाहर जा सकता है और ना तो कोई अंदर प्रवेश कर सकता है. गेट पर ताले लग जाते हैं और जवान डयूटी पर तैनात हो जाते हैं. क्योंकि नक्सल प्रभावित होने के कारण यहां इतनी संख्या में कोई नहीं आता. इसलिए इतने लोगों को देख जवान अर्लट हो गए थे, लेकिन जब नजदीक आए तो पूछताछ करने के बाद जवानों ने गेट खोल उन्हें गांव के भीतर आने दिया और रूकने की व्यवस्था की.
श्रमिकों ने इसलिए चुना जंगल का रास्ता
श्रमिकों ने बताया कि सड़क पर आने से तेलंगाना ने रोक दिया था, इसलिए उन्होंने जंगल का रास्ता चुना. इसलिए जंगल के रास्ते घर तक पहुंचने का निश्चय किया और निकल लिए. बासागुड़ा थाने होते हुए वो जगरगुण्ड़ा पहुंचे हैं. साथ ही दो दिन से भूखे थे, लेकिन यहां पहुंच कर थोड़ा उन्हें राहत मिली है.
उन्होंने बताया कि कान्ट्रेक्टर ने लॉकडाउन के कारण काम बंद करने के बाद घर जाने को कह दिया. ना तो पैसे थे और ना ही खाने का सामान. ऐसे हम लोग भूखे ही पैदल निकल पड़े. जब कल यानि 11 मई की सुबह बासागुड़ा पहुंचे तो वहां हमें भोजन मिला. जहां दोपहर के खाने के बाद जंगल के रास्ते हम लोग जगरगुण्ड़ा के लिए निकल पड़े. यहां आने के बाद पता चला कि ये इलाका नक्सल प्रभावित है.
जगरगुण्ड़ा निवासी सुरेश पोंदी ने बताया कि आज सुबह 67 श्रमिक पैदल जगरगुण्ड़ा पहुंचे हैं, इन्हे यहां पर रोका गया है. पुलिस ने पूछताछ की उसके बाद यहां पर ग्रामीणों के मदद से खाने की व्यवस्था की गई है.