नागरिकता संशोधन कानून का जो प्रस्ताव लोकसभा में और राज्यसभा में रखा गया और वो बहुमत से पारित हुआ. इस पहल के लिए, इस साहसिक कदम के लिए, हम केंद्र सरकार का और विशेषतः प्रधानमंत्री और गृहमंत्री जी का बहुत हृदय से अभिनंदन करते हैं, उनको धन्यवाद देते हैं.
जब देश का विभाजन हुआ, उस समय धार्मिक आधार पर ही देश का विभाजन की मांग थी. जबकि, भारत की मानसिकता में इस प्रकार की धार्मिक राज्य की कल्पना नहीं है. लेकिन इसी मुद्दे पर देश का विभाजन हुआ. उस समय के नेतृत्व ने इसको स्वीकार किया. अगर धर्म के आधार पर ये विभाजन न होता तो उसके बाद घटी हुई कई प्रकार की घटनाएं शायद नहीं होतीं. परन्तु जब ये विभाजन हुआ तो उसके बाद पाकिस्तान ने, बांग्लादेश ने, अपने आप को एक इस्लामिक स्टेट के रूप में घोषित किया और उसी समय ये आशंकाएं निर्माण हुईं कि वहां पर रहने वाले अल्पसंख्यक समाज का स्थान क्या रहेगा? परन्तु उस समय दो सरकारों के बीच जो एक समझौता हुआ था, उसमें ये बात कही गई कि इस्लामिक स्टेट होने के बाद भी किसी भी अल्पसंख्यक समुदाय के साथ कोई भेदभाव, अन्याय नहीं होगा. लेकिन दुर्भाग्य से कहना पड़ता है कि ऐसा नहीं हुआ, और वहां पर बड़ी संख्या में रहने वाला हिन्दू समाज है वो कई प्रकार की यातनाओं का शिकार बनता गया. अफगानिस्तान में रहने वाले हिन्दू, बांग्लादेश में, पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दू, उसका अगर हम समय-समय पर हुई जनगणना के आंकड़ों को हम देखते हैं तो ध्यान में आता है कि बड़ी संख्या में इस अल्पसंख्यक समुदाय की संख्या निरंतर घटती गई.
प्रश्न उठता है कि ये कहां गए. और हम अनुभव करते हैं कि इतनी बड़ी संख्या में भारत की सीमा से अंदर आए. किसी भी दूसरे देश के नागरिक अन्य देश में आते हैं तो विदेशी नागरिक माना जाता है. लेकिन यहां की परिस्थिति बिल्कुल भिन्न प्रकार की है. इन देशों में प्रताड़ित हुआ हिन्दू समाज का वर्ग कहां जाएगा, इनको भारत के अलावा और कोई अन्य स्थान नहीं है, जहां पर वो सम्मान और सुरक्षित जीवन का अनुभव कर सकते हैं. इसलिए भारत में आए. ये संख्या लगातार आती रही. परंतु किसी एक कानून के प्रावधान के अभाव में सालों साल यहां रहने के बाद भी उन्हें नागरिकता के अधिकारों से वंचित रहना पड़ा. और इसलिए बड़ी आवश्यकता थी कि ऐसे प्रताड़ित बन्धुओं को, जिनको घुसपैठिया न कहते हुए शरणार्थी मानना चाहिए. यह हमारी भूमिका बहुत पहले से रही है. संघ ने इस संदर्भ में हमेशा कहा है कि बाहर से कोई भी यहां हिन्दू आता है वो घुसपैठिया नहीं हो सकता, शरणार्थी होगा. और इसलिए ऐसे प्रताड़ित हुए बंधु जो भारत में आए तो स्वाभाविक रूप से उनके भी अपेक्षा थी कि हमें यहां सम्मान का जीवन और कुछ अधिकारों के साथ जीने का अवसर मिलेगा. लेकिन बहुत लंबी अवधि गई, इन्हें राह देखनी पड़ी. और अभी की इस वर्तमान सरकार ने एक बहुत अच्छी पहल की और इन दोनों तीनों देशों से जो अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हैं, उनको भारत में एक सम्मान का स्थान मिलेगा. इसलिए जो एक सुविधा उपलब्ध करानी थी. मैं समझता हूं कि ये नागरिकता कायदे में सुधार हुआ है. ये बिल जो लाया गया है, ये बाहर से आए हुए अल्पसंख्यक समुदाय को बहुत आश्वस्त करता है. हम उनका स्वागत भी करते हैं और उनके प्रति हम आनंद भी प्रकट करते हैं कि वो आए हुए शरणार्थी का उनका जो स्तर है, वो अब समाप्त होकर एक स्वाभिमान के रूप में, इस देश के नागरिक के रूप में वो रह सकेंगे और यहां के सामान्य जनों को मिलने वाले अधिकार से वो भी लाभान्वित होते रहेंगे और अपना जीवन सुखी समृद्ध संपन्न होने की दिशा में एक भविष्य का उनका निर्धारण होगा. ऐसी हमें आशा ही नहीं विश्वास है.
हम चाहते हैं कि इसको अपनी राजनीतिक संकुचितता से ऊपर उठकर सभी को इसका स्वागत करना चाहिए. इसमें जो बारबार सम्मानीय गृहमंत्री जी द्वारा बार बार कहा गया कि जो भारत में ही रहते हैं, ऐसे किसी भी इस्लामी समुदाय के बंधुओं को इसमें कोई खतरा नहीं है. वो यहां रहेंगे, उनको जो भी नागरिक के नाते अधिकार हैं, वो उन अधिकारों से लाभान्वित होते रहेंगे. ये प्रश्न केवल किसी को कुछ अधिकार देने का है. गृहमंत्री जी ने बार-बार कहा है कि हम किसी के भी अधिकार कम करने वाले नहीं और अधिकार देने की बात करते हैं.
कुछ राज्यों में जरूर एक अशांति निर्माण हुई है. मुझे विश्वास है कि केन्द्र सरकार उन सब, विशेषतः पूर्वोत्तर क्षेत्र में जो हिंसक बातें हो रही हैं, केंद्र सरकार इसमें पहल करके और ऐसे सभी भ्रमित करने वाली जो बातें हैं, उससे उनका भ्रम दूर करके उनको आश्वस्त करेगी कि अगर आप देश के नागरिक हो, आपको कोई चिंता करने का कारण नहीं. आप जहां जैसे अभी तक रहते आए हो, वैसे ही आप रहोगे.
बस, हम यही प्रार्थना करते हैं कि अनावश्यक भ्रम का निर्माण करते हुए समाज में हिंसक वातावरण फैलाने वाले इससे अपने आपको दूर रखें और देश की शांति बनाए रखें. और ये जो पहल हुई है, उस पहल से जो लाभान्वित होने वाले बिंदु हैं, उनको भी शांति के साथ यहां रहने का अवसर प्रदान करें. मैं समझता हूं कि फिर एक बार केन्द्र सरकार और विशेषकर प्रधानमंत्री जी और गृहमंत्री जी का बहुत हृदय से अभिनंदन करता हूं.