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नारद जी का चिंतन समाज परिवर्तन और समाज को दिशा देने वाला था – अशोक बेरी जी

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देहरादून (2)देहरादून (विसंके). विश्व संवाद केन्द्र द्वारा नगर निगम सभागार में आदि पत्रकार देवर्षि नारद जयन्ती के अवसर पर आयोजित पत्रकार परिवार मिलन एवं सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्यवक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य अशोक बेरी जी ने कहा कि नारद जी तीनों लोकों में भ्रमण कर, योग्य समाचार एकत्र कर योग्य स्थान तक पहुंचाने का कार्य करते थे. नारद का चिन्तन समाज परिवर्तन और समाज को दिशा देने वाला था, महर्षि नारद समाज को आने वाले संकटों से सजग करने और उन संकटों से पार पाने की शिक्षा अपने लोक संचरण द्वारा समाज को देते थे.

मुख्य अतिथि बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि पत्रकारिता को भारतीय दृष्टि मिले, तभी देश का कल्याण होगा. उन्होंने महर्षि नारद की भूमिका का स्मरण कर पत्रकारों का आह्वान किया कि उन्हें भी समाज हित और समाज जागरण की इस महति भूमिका को निभाने की मनःस्थिति बनानी चाहिए. पत्रकारों को समाजहित और समाज जागरण में स्वार्थ रहित होने की आवश्यकता है. पत्रकारों की लेखनी का समाज में प्रभाव होता है, पत्रकार निःस्वार्थ होकर अपनी लेखनी चलायेंगे तो समाज व देशहित में यह उनका अतुलनीय योगदान होगा. उन्होंने कन्धार विमान अपहरण की चर्चा कर पत्रकारों के साहस व चिन्तन की भी चर्चा की. मीडिया के नकारात्मक रूख की चर्चा करते हुए उन्होंने पूछा कि क्या समाज परिवर्तन के लिए देश व समाज को दिशा देने वाली सकारात्मक खबरें नहीं प्रकाशित हो सकती ? समाज में सब नकरात्मक ही नहीं, सकारात्मक भी होता है. उन्होंने कहा नारद का चिन्तन सकारात्मक था.

उन्होंने कहा कि नारद जी भारतीय समाज जीवन में आदि पत्रकार हैं, नारद जी भारतीय पत्रकारिता के मूल हैं. यह दुर्भाग्य है कि एक षड्यन्त्र के तहत भारत में श्रेष्ठ कुछ नहीं है, ऐसी धारणा बनाने का काम लम्बे समय तक चला. इस दौर में भी ऐसा ही हो रहा है, पराधीनता के कारण भारत के प्रति पैदा की गई हीनभावना आज भी जारी है. स्वाधीनता के लिए जिस पत्रकारिता का जन्म हुआ, आज भी उस पत्रकारिता का एक चेहरा विकृत है. लोक जागरण का सबसे सशक्त माध्यम पत्रकारिता है. अकबर इलाहबादी ने लिखा है ‘तोप मुकबिल हो तो अखबार निकालो‘ उस शक्ति को पहचानने की आवश्यकता है. अंग्रेजी शासन काल में अखबारों ने कितना विरोध और प्रताड़ना झेली उस पर गौरव करने की बात देहरादून (1)है, वह पत्रकरिता का गौरवपूर्ण इतिहास है, पत्रकारिता का उद्देश्य केवल समाचार सम्प्रेषण में नहीं समाजहित है, पत्रकार सिर्फ डाकिया नहीं, सामाजिक चेतना के संवाहक हैं, पत्रकारिता की दृष्टि लोक हित, लोक कल्याणकारी होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि नारद संहिता में नारद जी ने कहा है – सत्य बोलना श्रेष्ठ है, सत्य बोलो जो लोक कल्याणकारी व सबके हित में हो, वह सत्य बोलो जो सत्य सर्वजनहिताय होता है. वास्तव में वही सत्य है.

नारद जी ने हमें पत्रकारिता के दो मूलभूत तत्व दिये एक पत्रकारिता सामान्यजन के कष्टों व दुखों का निवारण कारक बने, दूसरा सत्य का अवलम्बन, लेकिन जनहित की अवहेलना नहीं. पत्रकारिता ने देश में अनेक उत्कृष्ट मानक भी स्थापित किये है. अनेकों ऐसे उदाहरण हैं, जिसमें भारतीय पत्रकारिता में अनेक उच्च मानक स्थापित किये हैं, परन्तु कुछ अच्छे कामों के कारण पत्रकारिता को गलत और समाज विरोधी काम करने की छूट नहीं दी जा सकती. आज पेड न्यूज का कलंक पत्रकारिता के माथे पर चस्पा है, बलिदानी परम्परा की पत्रकारिता की आज दुर्दशा है, आज कार्पोरेट के हाथों में पत्रकारिता का जाना चिन्ता जनक है, आवश्यकता है कि पत्रकारिता का भारतीयकरण हो, भारतीय जीवन दृष्टि मिले, तभी देश का कल्याण होगा.

इस अवसर पर आज तक के दिलीप राठौर, समाचार प्लस के सुदीप जैन, टीवी लाइफ के मनोज ईष्टवाल, हिन्दुस्तान के फोटो पत्रकार प्रवीन डंडरियाल, रवि नेगी, दैनिक जागरण के किरन शर्मा, टाइम्स आफ इण्डिया की पत्रकार अंजलि नौटियाल तथा अमर उजाला के सामूहिक उत्कृष्ट रिपोर्टिंग के लिए राकेश शर्मा, नलिनी गुसांई, अभिषेक सिंह तथा गौरव मिश्र को सम्मानित किया.

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