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नारद नाम आलोचना का पर्याय नहीं, अपितु जनकल्याण का प्रणेता है – मनोज माथुर

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जयपुर. विश्व संवाद केंद्र जयपुर की सांगानेर महानगर में टोंक रोड स्थित गीतांजलि होटल में देवर्षि नारद जयंती के उपलक्ष्य में पत्रकार सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय खंडेलवाल वैश्य महासभा के कोषाध्यक्ष जितेंद्र गुप्ता एवं मुख्य वक्ता ज़ी न्यूज़ राजस्थान के एडिटर मनोज माथुर रहे. कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन व देवर्षि नारद के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ. मुख्य अतिथि जितेन्द्र गुप्ता ने कहा कि खबरें कैसी हों, इस पर हमें  विचार करना चाहिए क्योंकि पत्रकारिता भी समाज को दिशा देने का कार्य करती है.

मुख्य वक्ता मनोज माथुर ने कहा कि नारद जयंती समारोहों का आयोजन नारद जी की धूमिल होती प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित करने का एक सफल प्रयास है. नारद जी जिस तरह से तीनों लोकों में घूम घूमकर समाचारों का प्रचार प्रसार करते थे, उनके द्वारा प्रदत्त समाचार कई बार अप्रिय होते हुए भी लोक कल्याणकारी होते थे. वे पत्रकारिता का आदर्श थे. पत्रकारों के लिये आदर्श स्थिति यही है कि वे निष्पक्ष भाव से देवर्षि नारद की तरह अपनी भूमिका समाज के उत्थान के लिए तय करें. कई बार हमारी जिम्मेदारियां हमें महत्वाकांक्षी बना देती हैं, जिस कारण हम अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं.

व्यवसायीकरण के दौर में जीविका व पत्रकारिता के आदर्शों का पालन करते हुए मिशन व व्यवसाय के बीच मध्य का रास्ता निकालने की जरूरत है. पत्रकारों के सामने चुनौतियां मौजूद हैं. हमें मीडिया अर्थात् माध्यम कहा जाता है. हम माध्यम के माध्यम से समाज को स्वस्थ दिशा दें. समाज की यही चाह है कि हम पत्रकार उनकी आकांक्षाओं पर खरे उतरें. हम समय के साथ दौड़ लगा रहे हैं, लेकिन किस दिशा में जा रहे हैं, यह हमें पता ही नहीं है. समाज हमारी ओर बहुत उम्मीद के साथ देखता है.

छोटी खबर मेरे अखबार में नहीं चलेगी, यह पद्धति गलत है. प्रॉफिट ही सब कुछ नहीं है. हमें मध्य मार्ग अपनाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि पहलू खान प्रकरण की रिपोर्ट तथ्यों की बिना प्रमाणिक जानकारी के गलत रूप से प्रस्तुत की गई जो हम सभी के लिए शर्मनाक है. हम पत्रकारों का कर्तव्य है कि हमें समाज के सामने आदर्श एवं तथ्यपरक समाचार ही प्रस्तुत करने चाहिए. पत्रकारिता समाज में जागृति पैदा करने की भूमिका में होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि केवल प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, वेब पोर्टल आदि पर कार्य करने वाले ही पत्रकार नहीं हैं, बल्कि व्हाट्सएप सोशल मीडिया पर क्रियाशील रहने वाले भी पत्रकार हैं. ये सब पत्रकारिता का ही हिस्सा बन गए हैं.

मनोज माथुर ने कहा कि आने वाला समय सोशल मीडिया का है. हमें संवेदनशील होकर समाचारों को प्रसारित करना चाहिए. संवेदनशीलता हमारा प्रथम गुण है. हमारा आदर्श हमारा विवेक ही है. नारद नाम आलोचना का पर्याय नहीं है, वह तो जनकल्याण का प्रणेता है.

कार्यक्रम के अध्यक्ष देवी नारायण पारीक ने बताया कि सामूहिक चिंतन सकारात्मक चेतना पैदा करता है. समाज में पत्रकार शब्दों से खेलते हैं. शब्द ही हैं जो वेद बनाते हैं. भारत विश्व में अच्छाई का केंद्र है. पत्रकार शब्दों के जादूगर होते हैं, भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए आप अपनी जादूगरी दिखाइए. कार्यक्रम में पत्रकार दिलीप चौधरी, सोनू गंगवाल, कमल कुमार जांगिड़ व रविकांत रोलीवाल को विभिन्न श्रेणियों में सम्मानित किया गया.

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