अलिबाग, मुंबई (विसंकें). ‘निसर्ग’ चक्रवात से कोकण का तटीय क्षेत्र प्रभावित हुआ है. रायगढ़ और रत्नागिरी जिलों में चक्रवात के कारण बड़ा नुकसान हुआ है. तूफान से प्रभावित ग्रामीणों को संकट से बाहर निकालने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने बड़े पैमाने पर राहतकार्य शुरू किया है.
चक्रवात से रायगढ़ जिले के आक्षी, नागाव, रेवदंडा, चौल, म्हसला, श्रीवर्धन, हरिहरेश्वर, हर्ने, मुरुड आदि गावों को तथा रत्नागिरी जिले के दापोली, मुर्डी, केलशी आदि गावों में बहुत नुकसान हुआ है. खेत, पेड़, घर, कुँए आदि बाधित हुए हैं. गावों के अर्थ अर्जन का साधन नारियल-आम-सुपारी के ८० प्रतिशत पेड़ ध्वस्त हो गए हैं. रायगढ़ जिले में संघ के तक़रीबन 50 स्वयंसेवक ग्रामीणों की मदद के लिए आगे आए है. पहले तीन दिन गांव के रास्ते साफ़ करने का कार्य किया गया. यह काम पूरा हो चुका है और अब बाधितों के घर, कुँए, खेत आदि साफ़ करने का कार्य शुरू किया गया है.
रत्नागिरी जिले में दापोली के गांवों में संघ द्वारा कुछ टीम तैयार की गयी हैं. तक़रीबन १००-१२५ स्वयंसेवक इन टीम के माध्यम से राहतकार्य में जुटे हैं. रास्ते साफ़ करना, घर साफ़ करना, घरों तक मार्ग तैयार करना, कुँए साफ़ करना, पानी के टेंकर मंगवाना, प्रशासन से संपर्क रखना, ऐसे कार्य किये जा रहे हैं. भारी बारिश के कारण प्रभावित करीब 500 परिवारों के लिये राशन की व्यवस्था की गई है.
निसर्ग चक्रवात के कहर से ग्रामीणों का केवल आर्थिक अथवा घरों का नुकसान नहीं हुआ, बल्कि वे मानसिक दृष्टि से भी कमजोर हुए हैं. इस नुकसान की भरपाई करने के लिए कितने साल लगेंगे, इसका अंदाजा नहीं लगा पा रहे. इस कठिन कालखंड में मानसिक सहारा देने का काम राष्ट्र सेविका समिती की सदस्य कर रहीं है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता भी राहत कार्य में जुटे हैं.