न्याय केन्द्र वह पथ है, जिससे समाज सेवा का पथ प्रशस्त होता है – एम.पी. बेन्द्रे जी
जबलपुर (विसंकें). अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद द्वारा 30 मार्च को कचनार क्लब, विजय नगर जबलपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ. मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति एच.पी. सिंह जी रहे. इस अवसर पर न्यायमूर्ति एच.पी. सिंह जी ने कहा कि न्याय मम् धर्मः – अर्थात् न्याय ही मेरा धर्म है. सबके प्रति न्याय हो, यही हमारा धर्म है. न्याय में कोई छोटा-बड़ा नहीं होता है. उन्होंने सुझाव दिया कि जिन्हें अपराध में दो वर्ष से कम की सजा मिलती है, उन्हें सरकारी नौकरी से वंचित रहना पड़ता है, इस पर विचार होना चाहिए. साथ ही कहा कि गरीबों की बात कोई समझ नहीं पाता, उनकी समस्या की जड़ तक कोई पहुंच नहीं पाता.
पुणे से आए एम.पी. बेन्द्रे जी ने कहा कि न्याय केन्द्र वह पथ है, जिससे समाज सेवा का पथ प्रशस्त होता है. उन्होंने बताया कि पुणे में 20 न्यायिक आधार केन्द्र जनसहयोग से संचालित हैं, इन्हें सेल्फ हेल्प सेन्टर के रूप में जाना जाता है. पांच अधिवक्ताओं द्वारा जनसेवा के कार्य को प्रारंभ किया गया था, अब वर्तमान में 100 अधिवक्ता न्याय केन्द्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. गरीबों के पास साधन नहीं होते, अधिवक्ता परिषद न्याय केन्द्र के माध्यम से उन्हें मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है. इस सेवा का कोई मूल्य नहीं लिया जाता. इस अवसर पर स्वागत समिति के अध्यक्ष महाधिवक्ता पुरूषेन्द्र जी ने 16 राज्यों से प्रतिभागियों का स्वागत व अभिनंदन किया.
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