लखनऊ. विश्व संवाद केन्द्र ट्रस्ट लखनऊ द्वारा संचालित “लखनऊ जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान” द्वारा “जनसंचार के विविध आयाम” विषयक त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ रविवार को संस्थान के अधीश सभागार में 5 अक्टूबर को किया गया. संगोष्ठी के उदघाटन सत्र में ‘मीडिया का धर्म और संकट” विषय पर विशेषज्ञ व्याख्यान के लिये मुख्य वक्ता के रूप में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के नोएडा परिसर के निदेशक और इण्डिया टुडे के पूर्व सम्पादक श्री जगदीश उपासने ने कहा कि ‘मीडिया आज अपने व्यावसायिक धर्म और उसके संकट’ के बीच समन्वय और सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश कर रहा है. एक ओर जहां उसने अपने लिये खुद ही लक्षमण रेखा भी खीचनी है तो दूसरी ओर सामाजिक सरोकार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी तय करनी है.
श्री उपासने जी ने आगे कहा कि मीडिया का काम सत्य का आग्रह है. निडर होकर, स्वतंत्र होकर, पक्षपातरहित विश्लेषण प्रस्तुत करना ही मीडिया का धर्म है. आज इस पर भी सवाल उठ रहे हैं. मीडिया पक्षपाती, व्यावसायिक हितों की पूर्तिकर्ता, नेता और स्वार्थी, निजता का हनन, मीडिया की जवाबदेही और उसके पत्रकारों का उत्तरदायित्व तय होना चाहिए. मुख्य धारा की मीडिया के सम्मुख आज वेब पत्रकारिता ने एक चुनौती पेश की है. आने वाले समय में मीडिया का कौन सा संस्करण रहेगा यह तो नहीं कहा जा सकता पर मीडिया जरूर रहेगा क्योंकि उसे सत्ता और शक्ति की जवाबदेही तय करनी है. प्रथम सत्र में अध्यक्षता क्र रहे वरिष्ठ सम्पादक और पूर्व राज्यसभा सांसद श्री राजनाथ सिंह सूर्य ने अपने संबोधन में कहा कि पत्रकारिता ने हमेशा ही अपनी मर्यादा में रहते हुए भारतीय जन आकांक्षाओं और सरोकारों को ही अपने लिये हमेशा प्राथमिकताएं निर्धारित की थीं.
सेमीनार के ‘‘सोशल मीडिया: वैकल्पिक पत्रकारिता’ विषयक द्वितीय सत्र में वेब पत्रकारिता पर जनयुग डाट काम के सम्पादक डॉ. आशीष वशिष्ठ ने विषय प्रवेश करते हुए इसकी वर्तमान उपादेयता को रेखांकित किया. उन्होंने बताया कि समाचार के यह जनमाध्यम जहां एक ओर सार्वभौमिक हैं वहीं दूसरी ओर वह इको फ्रेंडली माध्यम भी है. वेब पत्रकारिता का भविष्य निश्चित ही सुनहरा है क्योंकि भारत में इस माध्यम को अभी एक दशक ही हुआ है. इस सत्र के मुख्य वक्ता और प्रवक्ता डाट काम के सम्पादक श्री संजीव सिन्हा,ने बताया कि हिन्दी ब्लागिंग ने जनसंचार और पत्रकारिता के लिये नए क्षितिज खोलने का कार्य किया है. उन्होंने आगे बताया कि हिन्दी ब्लागिंग ने लोगों की अभिव्यक्ति को मंच दिया है. इसने विचारों का लोकतंत्रीकरण किया है. हिन्दी ब्लागिंग आज रचनात्मकता को अभिव्यक्ति दे रहा है. हिन्दी ब्लागिंग ने सम्पादकीय कैंची से लेखन को मुक्त कर दिया है. यहाँ लेखक ही सम्पादक और प्रकाशक की भूमिका में है. हिन्दी ब्लागिंग ने मुख्यधारा के मीडिया को चुनौती दी है. यहाँ अनेक क्षेत्रों में विपुल लेखन हो रहा है. इसकी विश्वसनीयता भी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. यह वैकल्पिक पत्रकारिता का सशक्त मंच बन गया है. ऐसा भी कह सकते हैं कि अब वेब मीडिया ही मुख्यधारा का मीडिया बन गया है. अब आने वाले समय की पत्रकारिता का भविष्य वेब मीडिया ही है.
कार्यक्रम की अध्यक्ष सोशल मीडिया विशेषज्ञ और पब्लिक फोरम की सम्पादक डॉ. नूतन ठाकुर ने अपने संबोधन में कहा कि सोशल मीडिया ने जनसंचार की सीमारेखाओं का अतिलंघन तो किया है पर उसने स्कैनिंग न्यूज की परम्परा को भी धक्का पहुचाया है. इस माध्यम ने समय और परिस्थिति के सारे गढ़े गढ़ाए मानकों से बाहर जाकर अभिव्यक्ति के नए क्षितिज तलाशने का काम किया है. सोशल मीडिया आज क्रांतिकारी अभिव्यक्ति का माध्यम लेकर आया है. ये दीगर बात है कि आप हिन्दुस्तान के सत्ता और सामाजिक परिवर्तन के पीछे इसकी अहमियत को जिम्मेदार मत मानिए पर सोशल मीडिया ने दुनिया के आधा दर्जन देशों की तानाशाही को उखाड़ फेकने का काम किया है. सामाजिक कार्यकर्ता श्री राजेन्द्र सक्सेना जी ने विषय प्रवेश किया. अतिथियों का स्वागत संस्थान के अध्यक्ष श्री रामनिवास जैन और ‘लखनऊ जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान’ का परिचय निदेशक श्री अशोक कुमार सिन्हा तथा विश्वविद्यालय परिचय राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन विश्वविद्यालय की क्षेत्रीय समन्वयक डॉ. नीरांजलि सिन्हा द्वारा प्रस्तुत किया गया.