अलवर जिले की ऊषा देवी को पर्यावरण स्वच्छता के लिए काम करने पर भारत सरकार ने पद्म पुरस्कार प्रदान करने का निर्णय लिया है.
राजस्थान के अलवर शहर के हजूरी गेट हरिजन कॉलोनी में रहने वाली ऊषा देवी ने 07 साल की उम्र में मैला ढोने का काम किया.. फिर दस साल की उम्र में शादी हो गई. ससुराल आने के बाद यहां भी मैला ढोने का काम किया. ऊषा की जिंदगी में ये बदलाव तब आया, जब वे सुलभ इंटरनेशनल संस्था से जुड़ीं. आज वे पर्यावरण स्वच्छता की दिशा में काम करने के साथ लोगों को स्वच्छता के लिए भी प्रेरित कर रही हैं.
ऊषा देवी बताती हैं कि जब वो मैला ढोया करती थीं, तब उन्हें लोग बाज़ार से सब्जी भी खरीदने नहीं देते थे. उन्हें अछूत समझा जाता था और अगर गलती से किसी को छू लिया तो भला-बुरा कह कर भगा देते थे. मंदिरों या घरों में भी घुसने नहीं देते थे. 2003 में सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक अलवर आए. वे मैला ढोने वाले परिवारों के साथ काम करना चाहते थे. इसके लिए एक महिला समूह को तैयार किया, ऊषा देवी इसकी मुखिया थीं. ऊषा ने मैला ढोने का काम छोड़ दिया और पापड़, जूट और सिलाई का काम करने लगी. सुलभ इंटरनेशनल की संस्था नई दिशा ने उनकी मदद की. ऊषा देवी अमेरिका सहित पांच देशों की यात्रा कर चुकी हैं. वर्ष 2008 में ऊषा देवी के बनाए कपड़ों को ही पहनकर विदेशी मॉडल ने मिशन सेनिटेशन के तहत यूएन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में कैट वॉक किया था. ऊषा देवी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर उन्हें राखी भी बांध चुकी हैं.