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परिवार के संस्कारों से ही जीवित है हिन्दू जीवन पद्धति – डॉ. कृष्ण गोपाल जी

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गोरखपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि देश की हजारों वर्षों की गुलामी के बाद भी हिन्दू जीवन पद्धति जीवित है, इसका मूल कारण हमारी परिवार व्यवस्था से मिलने वाले संस्कार हैं. डॉ. ईश्वरचंद विद्यासागर, विनोवा भावे जी में जो समाज सेवा भाव आया, उसका स्रोत परिवार में माँ ही थी, किन्तु आज इस परिवार व्यवस्था पर ही बड़ा संकट खड़ा है. सह सरकार्यवाह जी गोरखपुर में माधव धाम राजेंद्र नगर पूर्वी में जन कल्याण न्यास द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी की 111वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे.

डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि जहां देने वाला देवता है, रखने वाला राक्षस है, इस भाव के कारण से ही हम इस संकट से उबर सकते हैं. कमाने वाला ही खाएगा के स्थान पर प्राचीन हिन्दू परिवार परम्परा कमाने वाला ही खिलाएगा, की धारणा इस संकट का सामाधान है. जीवन में छोटे को स्नेह, वृद्धों की सुरक्षा हमारा संस्कार है.

इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ क्षेत्र कार्यकारणी सदस्य रामाशीष जी ने भारत माता के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर किया. उन्होंने कहा कि संघ कार्यालय “माधवधाम” का मात्र 6 माह में ही निर्माण पूर्ण हो जाने के पीछे पूज्य श्रीगुरुजी का आशीर्वाद ही है. सन 2001 से अब तक प्रत्येक वर्ष श्रीगुरुजी की जयन्ती पर कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है, उनके प्रतिभा संपन्न जीवन की चर्चा करते हैं. श्रीगुरुजी विलक्षण प्रतिभा के धनी थे, वे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्राणी विज्ञान के प्राध्यापक थे. परन्तु वे अंग्रेजी साहित्य तथा हिन्दी साहित्य की भी कक्षाएं लेते थे, आवश्यकता पड़ने पर गणित के विद्यार्थियों का भी मार्गदर्शन करते थे. इस अवसर पर प्रातःकाल सुन्दरकाण्ड का पाठ, हवन, प्रसाद वितरण एवं संस्कार भारती द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. क्षेत्र प्रचारक शिवनारायण जी, प्रान्त प्राचारक मुकेश विनायक खाडेकर जी, सह प्रान्त प्रचारक कौशल जी, सहित अन्य गणमान्यजन, कार्यकर्ता व स्वयंसेवक उपस्थित थे.

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