हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश). ठाकुर जगदेव चन्द स्मृति शोध संस्थान नेरी हमीरपुर में ‘इतिहास लेखन में लोकगाथाओं का योगदान’ पर चल रहे त्रिदिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद के दूसरे दिन शनिवार को तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया, जिसमें शोधार्थियों ने अपने-अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए तथा उन पर चर्चा की. सत्र के दूसरे दिन सायं तक कुल 60 शोध पत्र प्रस्तुत हुए और उन पर चर्चा हुई.
बिलासपुर जनपदीय लोकगाथा की शोधपत्र प्रस्तुति डॉ. सुरेश सोनी ने की और इस गाथा को गायन विद्या में डॉ. लाल चन्द ने प्रस्तुत किया. शनिवार को आयोजित पहले सत्र में डॉ. सूरत ठाकुर कुल्लू, डॉ. राकेश कुमार राजस्थान, राकेश शर्मा हमीरपुर, दीपक शर्मा निरमण्ड सहित लगभग 15 से अधिक विद्वानों ने लोकगाथाओं में ऐतिहासिक संदर्भों पर शोध पत्र प्रस्तुत किए और विस्तृत चर्चा में भाग लिया. जबकि दूसरे सत्र में 20 से अधिक विद्वानों ने लोकगाथाओं में इतिहास दृष्टि विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किए, जिनमें डॉ गौतम धर्मशाला, डॉ सुशील गढ़वाल, डॉ. कृष्ण पाण्डेय ऊना, डॉ. ओम दत सरोच हमीरपुर, डॉ. भाग चन्द धर्मशाला, डॉ. इन्द्र ठाकुर अर्की, डॉ हेम राज, डॉ अशीष तिवारी मध्य प्रदेश आदि प्रमुख हैं.
इससे पहले शुक्रवार रात्रि को सांस्कृतिक संध्या में लोक-गाथाओं के गायन का कार्यक्रम हुआ. जिसमें भरमौर के लोक गायक दयालु राम तथा उनकी पत्नी जया देवी ने लोकवाद्यों की धुनों के साथ मुसाधा गायन करके सभी को मन्त्रमुग्ध किया. डॉ. हेमराज ने मण्डी की लोकगाथा बसोआ गाकर माहौल को लोक संगीत से सराबोर किया.