कुरुक्षेत्र (विसंकें). गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने स्वदेशी जागरण मंच की 13वीं राष्ट्रीय सभा का उद्घाटन करते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र श्रीकृष्ण की धरती है, जहां से श्रीमद्भागवत गीता के माध्यम से श्रीकृष्ण ने राष्ट्रभक्ति और स्वदेशी का संदेश दिया था. आधुनिकता, भौतिकता और बाह्य सुख सुविधाओं की ललक के बीच हम अपनी नींव अर्थात् स्वदेश प्रेम की भावना को भूल गए हैं जो देश और समाज के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. भारत की स्वदेशी परंपराओं को वैज्ञानिकों के माध्यम से पूरी दुनिया तक पहुंचाने की आवश्यकता है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख अनिरुद्ध देशपांडे जी ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में विदेशी कंपनियों को शोषण के रूप में आमंत्रित किया है. आज स्वदेशी को समाज व्यवस्था और न केवल शिक्षा व्यवस्था की चिंतन करना है, बल्कि संपूर्ण जीवन की चिंता करनी है. विश्व व्यापार संगठन के माध्यम से पश्चिमी देशों ने शोषण को और तीव्र बनाया. अमेरिका जैसे देश अपने किसानों को 35 प्रतिशत सब्सिडी देते हैं, जबकि विकासशील देशों को ऐसा करने से रोकते हैं. आज मांग के सापेक्ष उत्पादन नहीं होता, बल्कि अधिक उत्पादन करने के पश्चात् बहुराष्ट्रीय कंपनियां विज्ञापन के माध्यम से मांग को सृजित करती हैं. हमारी व्यवस्था धीरे-धीरे परतंत्रता की ओर जा रही है. विदेशी चिंतन से समाज बदल रहा है. उन्होंने कहा कि पर्यावरण विनाश के पीछे अनियंत्रित उपभोगवाद है. विदेशी शक्तियां हमारे मन पर आक्रमण करती चली जा रही है. जिसे अब बदलने की जरूरत है.
स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय संयोजक अरुण ओझा जी ने कहा कि चीन हमारे लिए संकट का कारण बना हुआ है. चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़ रहा है. चीनी उत्पादों की गुणवत्ता भारतीय उत्पादों की तुलना में काफी कम है, परंतु सस्ते होने के कारण वे उत्पाद बाजार में बाजी मार ले रहे हैं. वहां से विनिर्माण उपकरण बड़ी मात्रा में आने के कारण हमारी छोटी और मध्यम आकार की औद्योगिक इकाइयां धीरे-धीरे बंद होने के कगार पर पहुंचने लगी हैं. बेरोजगारी बढ़ने लगी है. आज भारतीय परियोजनाओं के लिए 80 फीसदी ऊर्जा संयंत्रों के उपकरण चीन से मंगाए जा रहे हैं. हमें अपने बाजार को विदेशी वस्तुओं की बाढ़ से मुक्त करना होगा. तभी एक सशक्त और समृद्ध भारत खड़ा हो सकेगा.
उन्होंने कहा कि हमारी खेती लाचार बनी हुई है. देश में खेती योग्य भूमि में हर साल औसतन 30,000 हैक्टेयर की कमी हो रही है. देश में कृषि के लिए सबसे बड़ी समस्या सिंचाई की बनी हुई है. सिर्फ 45 प्रतिशत भूमि सिंचित है. भूजल का स्तर लगातार नीचे गिर रहा है. भूजल का अत्यधिक दोहन, अत्यधिक पानी मांगने वाली फसलों की खेती और अवैध खनन के कारण रेगिस्तान का विस्तार होता जा रहा है. उपभोक्तावादी जीवनशैली, शहरीकरण, विकास के नाम पर जंगलों की अंधाधुंध कटाई, वैश्विक तापवृद्धि, जलवायु परिवर्तन, इन सबके कारण न केवल वर्षा की मात्रा घट रही है, बल्कि उसकी आवृत्ति में भी तेजी से उतार चढ़ाव आ रहा है. उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति भी देश में भयावह होती जा रही है. शिक्षा के बढ़ते व्यवसायीकरण के कारण समाज में नया प्रभु वर्ग पैदा हो रहा है. शिक्षा सर्वजनों के लिए सुलभ नहीं रह गई है.
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल महामहिम आचार्य देवव्रत जी ने कहा कि जब तक हम अपने देश के लोगों में राष्ट्र भक्ति का जज्बा पैदा नहीं करेंगे, तब तक स्वदेशी का अभियान सफल नहीं हो पाएगा. यह दुर्भाग्य है कि आजादी के 70 वर्ष बाद भी हम देश की जनता को राष्ट्रवादी सोच देने में विफल रहे हैं. कालेधन को लेकर जिस तरह से विकास अवरुद्ध हो रहा था, उसके खिलाफ प्रधानमंत्री ने सर्जिकल स्ट्राइक करके करारा जवाब दिया, उसी तरह से हमें पश्चिमी सभ्यता संस्कृति, भाषा और रहन-सहन के खिलाफ देश में स्वदेशी जागरण मंच के माध्यम से सर्जिकल स्ट्राइक की आवश्यकता है.
अखिल भारतीय सह संयोजक भगवती प्रकाश शर्मा जी, राष्ट्रीय संगठक कश्मीरी लाल जी, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर कैलाश चंद शर्मा जी सहित अन्य उपस्थित थे.