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पाकिस्तान व कश्मीरी पत्थरबाजों के खिलाफ बजरंग दल ने किया राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन, राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा

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नई दिल्ली. पाकिस्तानी सेना के दुस्साहस, कश्मीर घाटी में पत्थरबाजों द्वारा सुरक्षा बालों पर लगातार हमलों तथा उन्हें पनाह दे रहे उनके समर्थकों के विरुद्ध बजरंग दल ने राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किया. देश के लगभग हर जिले में विरोध प्रदर्शनों में लाखों बजरंगियों के साथ विहिप तथा अनेक अन्य धार्मिक सामाजिक तथा सांस्कृतिक संस्थाओं के कार्यकर्ताओं व राष्ट्र भक्तों ने हिस्सा लिया. राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर उपस्थित प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक मनोज वर्मा ने कहा कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी, उन्हें कवर देने वाले पत्थरबाज तथा उनके समर्थक तथाकथित मानवाधिकारवादी, सभी एक ही थैले के चट्टे-बट्टे हैं. इन सबके साथ एक जैसा ही सुलूक किया जाना चाहिए. हमारे सुरक्षाबलों पर हमला करने वाले किसी भी व्यक्ति या संगठन को बजरंग दल एक ही दृष्टि से देखता है. छत्तीसगढ़ के सुकमा तथा कश्मीर घाटी में हुए शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए बजरंगदल प्रमुख ने कहा कि अब बहुत हो चुका, देश का नौजबान सिर्फ प्रति-उत्तर की प्रतीक्षा में है. उन्होंने मांग की कि इन सभी देशद्रोहियों को बोली की नहीं, सिर्फ गोली की भाषा ही समझ आती है. माँ भारती की रक्षार्थ अब पत्थर का जबाब गोली से दिया जाना नितांत आवश्यक है. प्रदर्शन के बाद एक प्रतिनिधि मण्डल ने राष्ट्रपति भवन जाकर महामहिम राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भी दिया.

देश के विविध स्थानों पर प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि पाकिस्तान ने भारतीय सैनिकों के साथ जो कायराना हरकत की है, उससे समस्त विश्व की मानवता शर्मसार है तथा भारत के जनमानस में बहुत बेचैनी है. जहां पाकिस्तान की इस दुष्टता का उचित जवाब अतिशीघ्र दिया जाना आवश्यक है. वहीं आस्तीन में पल रहे साँपों से भी देश को सजग रहना होगा. आतंकी चुनौतियों का सामना करते हुए बजरंग दल ने जिस प्रकार नब्बे के दशक में बाबा अमरनाथ की यात्रा को पुन: शुरु कराया तथा पुंछ जिला अंतर्गत बाबा बुढा अमरनाथ की प्रसिद्ध यात्रा को गति प्रदान की, आज भी वह किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम व तैयार है. सुरक्षा बालों के सम्मान की रक्षा करने हेतु बजरंगदल के कार्यकर्ता किसी भी हद तक समर्पण को तैयार हैं. सेना का अपमान इस देश के नागरिकों का अपमान है, इसलिए इन पत्थरबाजों के विरूद्ध आतंकवादियों की तरह ही कार्यवाही करने की खुली छूट सेना तथा अर्धसैनिक बालों को मिलनी चाहिए. इसके अलावा, जो मानवधिकार संगठन, राजनेता या सैक्यूलर माफिया के लोग इन पत्थरबाजों के समर्थन में खड़े हों उन पर भी आतंक विरोधी कानून के अंतर्गत कठोर कार्यवाही होनी चाहिए ताकि घाटी में राष्ट्रद्रोह जन्म ना ले सके.

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