कौन है, जो जनजातियों को विकास के विरोध में खड़ा कर रहा है?

देश के हर एक क्षेत्र का विकास करना यह हमारे प्रशासन का कर्तव्य है. प्रशासन अपना कर्तव्य पूर्ण कर रहा हो तो भी कुछ वामपंथी शक्तियां इस विकास का विरोध कर रही हैं. पालघर के विकास के बारे में कुछ प्रस्ताव शासन से प्राप्त हुए तो उसका विरोध करने का षड्यंत्र इन शक्तियों द्वारा किया जाता है और फिर प्रशासन की इस क्षेत्र के विकास को लेकर कोई योजना नहीं है, ऐसा मिथ्या प्रचार जनजाति समाज के बीच किया जाता है. इन शक्तियों की हमेशा विकास विरोधी भूमिका रही है. यह भूमिका लोगों के सामने रखते समय अमेरिका में विकास का यह काम हुआ, जापान ऐसा कर रहा है, ऐसे उदाहरण दिए जाते हैं. लेकिन, दूसरी तरफ विकास योजनाओं का विरोध किया जाता है.
कैसे तैयार करते हैं भूमिका?
यह शक्तियां अपने कुछ प्रतिनिधि ग्रामसभा में भेजती हैं. ग्राम सभा में विकास का कोई प्रस्ताव चल रहा हो तो उसी ग्राम सभा में विकास विरोधी प्रस्ताव पारित कर लिए जाते है और वह प्रस्ताव प्रशासन को भेजे जाते हैं. इसके पीछे विकास का विरोध करने वाले जनजाति संगठन हैं, जनजाति समाज यह देश का अविभाज्य घटक है. उनके विकास का विरोध करना और उस माध्यम से देश के विकास का विरोध करना, यही इन संगठनों का षड्यंत्र है.

पालघर जिले में विकास के अनेक प्रस्ताव आए. बुलेट ट्रेन यह एक महत्वाकांक्षी प्रकल्प है. बुलेट ट्रेन का हमें क्या उपयोग है, ऐसा एक विचार क्षेत्र में फैलाया गया. वास्तव में इस प्रकल्प का बड़ा उपयोग देश को होने वाला है. परन्तु, इस प्रकल्प का अगर हमें उपयोग न हो तो हम हमारी जमीन क्यों दें, ऐसा एक विवाद यहां पर खड़ा किया गया. वाधवान बंदरगाह बन जाता तो पालघर परिसर का विकास होने में सहायता होती. परन्तु उस बंदरगाह के निर्माण का भी यही कारण देकर विरोध किया गया. वाधवान बंदरगाह के कारण इस क्षेत्र में जमीन को अच्छी कीमत होती, परन्तु जनजातियों को इस बंदरगाह का उपयोग नहीं, बंदरगाह के निर्मिति के दौरान क्षेत्र के पर्वत खुदाई करके वह मिट्टी समुद्र में मिलाई जाएगी, हमें भू-संपादन के बाद ऐसी जगह विस्थापित किया जाएगा, जहाँ पर तिनका भी नहीं उगता, ऐसी बातें फैलाकर जनजाति समाज को भ्रमित किया गया. बाधं बनाने की अनेक योजनाओं का भी जनजातियों को भ्रमित करके विरोध किया गया. बाँध का पानी तो शहरवासियों को दिया जाएगा, उससे जनजातियों को क्या फायदा? आदि बातें फैलाई गईं. अगर कोई मार्ग, महामार्ग (कॉरिडॉर) का प्रस्ताव हो तो उससे इस क्षेत्र का विकास निश्चित होने वाला है. पर, उसका भी विरोध किया जाता है.
यह संगठन ना केवल विकास विरोधी हैं, बल्कि वे संविधान विरोधी भी है. भारतीय संविधान के बारे में अनेक भ्रम फैलाकर, संविधान के विरोध में क्षेत्र में आन्दोलन किये जाते हैं.
झारखण्ड में 2018 में पत्थलगड़ी आन्दोलन किया गया. इसी प्रकार के आन्दोलन के तहत पालघर जिले के चिखला और कोसबाड गांवों में बोर्ड लगाए गए. ‘इस गाँव की पत्थलगड़ी की जा रही है और अब इस गाँव में भारत का संविधान, भारत का कानून नहीं माना जाएगा’, इस प्रकर भारत के संविधान के विरोध में भूमिका तैयार की जा रही है. जनगणना, चुनाव जैसे संविधानिक गतिविधियों का विरोध किया जाता है. संगठन के मोर्चा में, सभाओं में सम्मिलिन न होने वालों के साथ मारपीट की जाती है.
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