हमला फिर से हो सकता है
पालघर के तलासरी तालुका में सीपीएम का प्रभाव है. यहां पर विकास के कार्य करने वालों पर सीपीएम के कार्यकर्ताओं द्वारा हमले की कई घटनाएं हो चुकी हैं. लोगों के घर लूटना, बकरियां चुराना, घर जला देना, यह कुछ लोगों की आदत सी है. शिक्षा या नौकरी के लिए गाँव के बाहर जाने वाली जनजाति लड़कियों को परेशान करने का, उनका शोषण का काम भी ये लोग करते आए हैं. आज भी क्षेत्र में माओवादी गतिविधियाँ जारी हैं. पिछले माह साधुओं पर हमला और उनकी हत्या भी इनके ही षड्यंत्र का परिणाम है. यहाँ के जनजातीय युवा इनके बहकावे आसानी से आ जाते हैं, और घटना के पश्चात उनका ही नाम आगे आता है. वास्तव में जनजाति समाज भगवान, साधु संतों को मानता है, उन पर आस्था रखता है. जनजाति समाज ऐसे कृत्यों में सम्मिलित नहीं हो सकता. लेकिन, गढ़चिंचले की घटना माओवादियों के षड्यंत्र का परिणाम है. वामपंथियों को हिन्दुत्व व समाज हित का कोई कार्य आसानी से हजम नहीं होता. वे क्षेत्र में भोले भाले जनजाति समाज को बहकाने, भड़काने का काम कर रहे हैं.
तलासरी के करज गाँव के सरपंच, जो २२ अप्रैल को कोरोना के बारे में जनजागरण कर रहे थे, उनके खिलाफ भी माओवादियों ने भ्रामक प्रचार किया था. षड्यंत्रकारियों ने अफवाह फैलाई थी कि सरपंच पुलिस की गाड़ी से गांव में चोर लेकर आए हैं. इस अफवाह के कारण जनजाति समाज के कुछ भ्रमित लोग डंडे, लाठी, पत्थर आदि लेकर सरपंच को ढूंढ रहे थे. आखिरकार, अपनी सुरक्षा के लिए सरपंच को पुलिस का सहारा लेना पड़ा था. स्पष्ट है कि गढ़चिंचले की घटना केवल एक घटना मात्र नहीं है, ये एक सोची समझी साजिश है. क्षेत्र में अफवाहें फैलाना, जनजाति समाज में भ्रम का निर्माण करना, माओवादी यह कार्य करते आए हैं. अब, यदि इन लोगों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो आगे भी ऐसी घटनाएं देखने को मिल सकती हैं.
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