यमुनानगर (विसंकें). बरसों पहले लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी की धारा फिर प्रत्यक्ष हुई है. मंगलवार 05 मई को खुदाई के दौरान जिले के मुगलवाली गांव में लगभग दस फुट पर मिली जलधारा के बाद बुधवार को भी कई जगहों से पानी की धारा निकली. जिले के रुहालाडी गांव में बुधवार को खुदाई के दौरान सरस्वती की धारा फूट पड़ी. इससे सरस्वती की जलधारा को पुनर्जीवित करने के वर्षों से चल रहे भगीरथ प्रयास सफल होते दिख रहे हैं.
मंगलवार को आदिबद्री से पांच किलोमीटर दूर मुगलवाली गांव में सरस्वती के बहाव क्षेत्र में खुदाई के दौरान नदी का जल निकल आया था. लगभग दस फुट की खुदाई में जगह-जगह जल की धारा मिली है. इतनी कम गहराई पर नीली बजरी, चमकदार रेत और खनिज के मिश्रण वाला यह पानी हुबहू नदियों में बहने वाले पानी की तरह लग रहा है. प्रशासन भी सरस्वती नदी की धारा मिलने की पुष्टि कर रहा है. अधिकारियों ने भी यहां एक-एक करके करीब 10 गड्ढे खोदे और हर जगह समान अनुपात में पानी आया. डीसी डॉ एसएस फुलिया और जिला प्रशासन के अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे. डीसी, एसडीएम और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने भी खुद कस्सी से खुदाई कर इसकी जांच की. डीसी ने कहा कि सरस्वती नदी का जिक्र पुराणों में मिलता है और राजस्व रिकार्ड में भी इसका अस्तित्व रहा है. आज यह नदी हकीकत में धरती पर अवतरित होती दिखाई दे रही है. उन्होंने बताया कि 21 अप्रैल को जिला प्रशासन की ओर से इस नदी की खुदाई शुरू करवाई गई थी. कुछ लोगों ने इसे केवल मिथ माना था.
सरस्वती शोध संस्थान के प्रमुख दर्शन लाल जैन ने योजना पर कड़ी मेहनत की और आज यह भ्रांति सच्चाई में बदल गई है. डीसी ने बताया कि आदिबद्री को सरस्वती नदी का उद्गम स्थल माना गया था और यहां से पांच किलोमीटर दूर गांव रूलाहेड़ी में खुदाई शुरू की गई थी. उन्होंने कहा कि गांव छलौर में एक बड़ा जलाशय बनाया जाएगा, जिसमें पहाड़ों पर होने वाली बरसात और सोम नदी के पानी को एकत्र कर सरस्वती नदी को एक बड़ी नदी के रूप में प्रवाहित किया जाएगा.
पिछली सरकार ने नहीं किया था सहयोग
वर्ष 2007 में प्रदेश सरकार ने सरस्वती नदी के जल को धरा पर लाने का जिम्मा ऑयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन को सौंपा था, लेकिन ओएनजीसी को प्रदेश सरकार से पर्याप्त सहयोग न मिलने के कारण यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट अधर में लटक गया था. केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद ओएनजीसी ने एक बार फिर नए सिरे से जमीन के नीचे सरस्वती नदी की खोज का जिम्मा उठाया. इसके लिए ओएनजीसी ने आदिबद्री और आसपास के क्षेत्र का सर्वे किया और प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से खुदाई शुरू करवाई. दर्शनलाल जैन ने बताया कि अब ओएनजीसी द्वारा जल्द ही जिले में पांच-छह स्थानों पर गहराई में ड्रिल कर सरस्वती नदी का पानी बाहर निकाला जाएगा. सरस्वती नदी के पुनरुत्थान से आने वाले समय में जहां पानी की किल्लत की समस्या का समाधान होगा, वहीं बरसात के मौसम में बाढ़ का संकट भी दूर होगा.