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पूरे विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां धरा को धरती माता कहा जाता है

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देहरादून (विसंकें). विश्व संवाद केन्द्र की ओर से सुमन नगर, धर्मपुर, देहरादून स्थित श्रीगोवर्धन विद्या मन्दिर में ‘वार्षिकी 2017’ का लोकार्पण मंचासीन अतिथियों ने किया. इससे पहले मुख्य अतिथियों ने माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया.

मुख्य वक्ता केंद्रीय विवि हिमाचल प्रदेश के कुलपति डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री जी ने भारत को एक राष्ट्र के रूप में अभिव्यक्त किया. उन्होंने कहा कि जब अयोध्या मन्दिर की बात होती है तो हमारा मन अन्दर से झंकृत होने लगता है. इसी से हमारे हिन्दू होने का पता चलता है. पूरे विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां इस धरा को धरती माता कहा जाता है. ऐसी संस्कृति विश्व के किसी भी देश में नहीं है. भारत को मां बनने के लिए कई वर्षों का समय लगा है, इसके लिए कई पीढ़ियों ने अपना बलिदान दिया. उन्होंने कहा कि सही अर्थों में राष्ट्र का नागरिक वही व्यक्ति होता है जो राष्ट्र की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धरोहरों का दिल से सम्मान करें, उनके प्रति आदर भाव रखें. क्योंकि एक नागरिक को अच्छा नागरिक तभी कहा जाता है, जब वह राष्ट्र के प्रत्येक क्षेत्र की सांस्कृतिक व सामाजिकता का निःस्वार्थ भाव से अपने हृदय से सम्मान करे. भारत की अखण्डता की व्याख्या करते हुए उन्होंने गुरु नानक व शंकराचार्य के योगदान का उदाहरण दिया. जिस तरह गुरु नानक ने पंजाब से भारत की अस्मिता को फैलाने के लिए असम तक पद यात्रा की तथा आदि शंकराचार्य जी, केरल से होकर बद्रीनाथ धाम में अपने विचारों की व्याख्या के लिए निकले. उनका यह योगदान भारत को अखण्ड राष्ट्र के रूप में साकार करने के लिये था.

कार्यक्रम के अध्यक्ष उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धनसिंह रावत जी ने कहा कि कोई भी कार्य युवाओं के बिना संभव नहीं है. उत्तराखण्ड राज्य के पत्रकार पूरे देश में सबसे अधिक कार्यरत हैं. कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि उत्तराखण्ड आयुर्वेद विवि के कुलपति अभिमन्यु कुमार जी ने कहा कि संवाद हमें अन्य जीवों से अलग करता है. हर रिश्ते में स्वार्थ हो सकता है, मगर मां का रिश्ता एक ऐसा है जो निःस्वार्थ भाव से होता है. ऐसा ही रिश्ता हमारा भारत माता से है जो स्वार्थ से परे है. कार्यक्रम का संचालन पत्रिका के सम्पादक डॉ. देवेन्द्र भसीन, प्राचार्य डी.ए.वी. (पी.जी.) कॉलेज, देहरादून ने किया.

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