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पूर्वोत्तर भारत के विकास में महाराष्ट्र भी देगा योगदान : राज्यपाल

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1मुंबई. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ए.बी.वी.पी.) द्वारा संचालित अंतर राज्य छात्र दर्शन (सील) के स्वर्णोत्सव समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने पूर्वोत्तर भारत के विकास के लिये सर्वोच्च प्रयास की जरुरत बताते हुये कहा कि इस विभाग के ‘Socio-Economic’ विकास के लिये महाराष्ट्र राज्य भी योगदान देगा.

ए.बी.वी.पी. ने पचास वर्षो से भारत की अखंडता और संप्रभुता को बढावा देने हेतू सील जैसे अभिनव प्रकल्प को चलाया है. इस प्रकल्प के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर मुंबई में आयोजित एक हृदयस्पर्शी कार्यक्रम में राज्यपाल महोदय प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित थे.| बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष कुमार चौहान कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष के रूप में उपस्थित थे. मंच पर ए.बी.वी.पी. के महासचिव श्रीहरी बोरीकर, मुंबई अध्यक्ष डॉ. आनंद निरगुडे, सील के अध्यक्ष विजय वैद्य, महासचिव अतुल कुलकर्णी, स्वागत सचिव श्रीकांत केजरीवाल और सील उपक्रम की पहली सहभागी सुरबाला देवी उपस्थित थे.

इस साल ‘भारत को जानो’ यह संकल्पना लेते हुये 7 राज्यों के 12 जिलों से 18 जनजातियों से संलग्न 48 छात्र सील की यात्रा में शामिल हुये है . यह छात्र उत्तर तथा दक्षिण भारत के 9 राज्यों के परिवार में रहकर भारत को जानने का प्रयास किया.

आशीष कुमार चौहान ने ‘सील’ कार्यक्रम को भारत को एकजुट रखने वाली मुहीम बताते हुये, पूर्वोत्तर भारतवासियों को मुंबई में देखकर बहुत आनंद जताया. ब्रिटीश नेता व्हिस्टन चर्चिल ने भारत की स्वतंत्रता पर तंज कसते हुये कहा था कि यह देश २० सालों में मिट जायेगा, परंतु हमारा देश स्वतंत्रता के ६० सालों बाद भी अखंडित है, और ६००० साल बाद भी यह देश अखंडित रहेगा, चौहान ने यह विश्वास प्रकट किया.

सुरबाला देवी ने कहा, अपनी आयु के 65 साल पूर्ण करने के बाद भी मैं अपनी भारत यात्रा के हसीन अनुभव आज भी महसूस कर रही हूँ. एक जिम्मेदार भारतीय नागरिक और संवेदनशील व्यक्ति बनने के लिये इस यात्रा का काफी लाभ मिलता है. इस यात्रा में सहभागी युवक-युवतियों के हृदय में भारत का भाव जगे, यह उम्मीद है.

ए.बी.वी.पी. के महासचिव बोरीकर ने कहा, पचास साल बाद भी वही संवेदना तथा धारणा के साथ काम करने वाले सील प्रकल्प पर मै गर्व महसूस करता हूँ. हजारों लोगो के प्रकल्प में शामिल होने के कारण ही यह उपक्रम राष्ट्रीय एकात्मता प्रस्थापित करने में सफल हुआ है. लेकिन पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास के लिये सभी भारतीयो को आगे आना होगा.

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