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प्रदेश में सहकारिता को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का प्रयास होगा – जोगिंद्र वर्मा

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Picture 581शिमला (विसंकें). सहकार भारती हिमाचल प्रदेश की प्रांत कार्यकारिणी की बैठक हिम रश्मि स्कूल परिसर में रविवार को संपन्न हुई. समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रांत अध्यक्ष जोगिंद्र वर्मा जी ने कहा कि मनरेगा जैसी ग्राम्य स्तर पर चलाई जाने वाली सभी योजनाओं को सहकारी सभाओं द्वारा कार्यान्वित किया जाना चाहिए, ताकि इसमें लग रहे संसाधनों का अपव्यय न हो. आने वाले समय में सहकार भारती के उद्घोष को हिमाचल के जन-जन तक पहुंचाने के लिए सहकार भारती पुरजोर प्रयास करेगी.

बैठक में हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों से पदाधिकारियों तथा कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. जोगिंद्र वर्मा जी ने कहा कि प्रदेश में निजी जन सहभागिता को पीपीपी मोड के स्थान पर जन सहकार सहभागिता पीसीपी मोड में परिवर्तित किया जाये, ताकि प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति की सहभागिता को विकास के लिए सुनिश्चित किया जा सके. प्रदेश महामंत्री गोपाल झिल्टा ने कहा कि वन संरक्षण, जल, विद्युत वितरण व अन्य जन उपयोगी सरकारी योजनाओं का क्रियान्वन सहकारी माध्यम से ही किया जाये. सहकारी सभाओं पर लगाया जाने वाला कर सही नहीं है, इससे सहकारिता कमजोर होती है. झिल्टा ने सहकारिता की वर्तमान हालत पर चिंता जताते हुए कहा कि प्रदेश में सहकारिता की स्थिति संतोषजनक नहीं है. सहकारिता के बारे में जब लोगों से बात की जाती है तो वे इसे मात्र डिपो और राशन तक सीमित दृष्टि से देखते हैं. आज आवश्यकता इस बात की है कि सहकारिता के बारे में जनजागृति फैलायी जाये ताकि लोग इसके माध्यम से लाभान्वित हो सकें. उन्होंने कहा कि कम ही लोग जान पाते हैं कि एटीम कार्ड धारक का स्वतः बीमा हो जाता है, जबकि यह जानकारी बैंकों के द्वारा भी अक्सर छिपायी जाती है. उन्होंने सभी से अपील की कि जब भी वे जन-धन जैसी सरकारी योजनाओं में अपना खाता खुलवाते हैं तो यह सुनिश्चित कर लें कि उनका खाता खुला है. प्रदेश में कुछ बहुराज्यीय सहकारी सभाएं अपने पैर जमाने लगी है, जिनका काम प्रदेश की सहकारिता के उद्देश्यों के बिल्कुल विपरीत है. यह सभाएं मात्र राशि जमा योजना का काम कर रही है, यह वास्तव में लोगों के साथ किया जाने वाला धोखा है. सरकार को इस ओर ध्यान देकर ऐसे तत्वों पर अंकुश लगाना चाहिए. उन्होंने बताया कि आने वाले समय में सहकार भारती केंद्रीय स्तर पर एक कार्यक्रम का आयोजन करेगी, इसका उद्देश्य सहकारिता को अंतिम व्यक्ति तक ले जाने का होगा. आने वाले एक वर्ष में केंद्रीय कार्यक्रम द्वारा सहकारिता को जन आंदोलन में परिणत करने का प्रयास किया जायेगा, जिससे इसके लाभों को प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाया जा सके.

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