मेरठ (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार जी ने कहा कि आज पत्रकारिता में विश्वसनीयता का संकट दिखने लगा है. निश्चित रूप से यह हमारे लिये चुनौती का विषय है. पत्रकारिता से जुड़े लोग चाहे वह कार्यरत हों या विद्यार्थी के रूप में इस मिशन से जुड़ने की प्रक्रिया में हों, दोनों को निकट भविष्य में इस संकट की आहट को पहचानते हुए कार्य करना होगा. नरेंद्र जी पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में आयोजित संगोष्ठी में ‘पत्रकारिता की दिशा एवं दशा’ विषय पर संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि आज प्रिंट हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या फिर सोशल मीडिया तीनों एक निश्चित एजेंडे पर कार्य कर रहे हैं. उन्होंने प्रेयस एवं श्रेयस को स्पष्ट करते हुए कहा कि जो बात समाज के लिये श्रेयस हो अर्थात हितकारी हो, ऐसे समाचारों को हमें अपने समाचार पत्रों या अन्य माध्यमों में उचित स्थान देना चाहिए. कई बार जो बात प्रेयस अर्थात प्यारी होती है, वह जरूरी नहीं कि समाज के लिये हितकारी हो. इसलिये आज हमें इस अन्तर को समझते हुए पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करना होगा. उन्होंने पत्रकारिता के इतिहास पर कहा कि आद्य पत्रकार देविर्षि नारद से शुरू हुई पत्रकारिता की परम्परा को कई चरणों से होकर गुजरना पड़ा है. आजादी से पूर्व एवं आजादी के बाद पत्रकारिता के उद्देश्यों में आमूल-चूल परिवर्तन हुए हैं. मिशन के रूप में शुरू हुई पत्रकारिता आज व्यवसाय पर आ टिकी है. आज पहले मैं – पहले मैं की होड़ ने पत्रकारिता को भी कल्पनाशीलता से जुडे समाचारों पर लाकर खड़ा कर दिया है. अर्थात् हम विभिन्न जनमाध्यमों में कल्पना के आधार पर खबरों की भरमार देख, सुन व पढ़ सकते हैं. उन्होंने पत्रकारिता के छात्रों से आह्वान किया कि यदि भारत को दुनिया का सिरमौर बनाना है तो हमें अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को समझना होगा. हम लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में देखे जाते हैं. इसलिये समाज एवं देश के प्रति हमारी और अधिक जवाबदेही है.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. एनके तनेजा जी ने कहा कि पत्रकारिता केवल सूचनाओं के सम्प्रेषण का माध्यम ही नहीं है, वरन् यह समाज के बीच एक विमर्श स्थापित करती है. भारतीय दर्शन और ज्ञान को आम लोगों तक पहुंचाने में पत्रकारिता की भूमिका महत्वपूर्ण है. पत्रकारिता के छात्रों को अन्य विषय के छात्रों के मुकाबले अधिक परिश्रमी एवं ज्ञानशील होना होता है. इसलिये आप लोग अपने ज्ञान के स्तर को ऊंचा उठाएं तथा पत्रकारिता के मापदंडों पर शत प्रतिशत खरा उतरने का प्रयत्न करें.
विभाग के समन्वयक डॉ. मनोज श्रीवास्तव जी ने कहा कि मिशन, प्रोफेशन से होती हुई पत्रकारिता आज कॉमर्शियलाइजेशन के दौर में पहुंच गयी है. पत्रकारिता की विश्वसनीयता को कायम रखने के साथ ही खबरों की पुष्टि और उसकी समाज के प्रति उपयोगिता का ध्यान रखना आवश्यक है. जिस तरह से आज समाचारों को प्रस्तुत किया जाता है और उसको सनसनीखेज बनाया जाता है, उस पर विराम लगना चाहिए. कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रशांत जी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन विभाग की शिक्षिका दीपिका वर्मा जी ने किया.