भोपाल. आसूचना एवं नैवगैशन विशेषज्ञ और रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान नई दिल्ली से जुड़े रिसर्च फेलो डॉ. आलोक बंसल की पश्चिम एशिया में गहराते संकट पर भारत के लिये यही राय है कि वह धैर्य से प्रतीक्षारत रहने के दौरान स्थिति का पर्यवेक्षण करता रहे.
स्थानीय मोटल सिराज में विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित विमर्श में बुद्धिजीवियों और वरिष्ठ पत्रकारों के समक्ष “पश्चिम एशिया के संदर्भ में भारत की स्थिति” पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि सीरिया और ईराक में आईएसआईएस के कारण मची उथलपुथल से भारत भी प्रभावित हो रहा है. ईराक में यद्यपि 60 प्रतिशत शिया समुदाय रहता है, किन्तु सुन्नी समुदाय हावीबी है. इन दोनों समुदायों के संघर्ष ने भारत के भी दोनों समुदायों को प्रभावित किया है. दोनों समुदायों के भारतीय युवक इस संघर्ष में भागीदारी के लिये ईराक जाने के इच्छुक हैं, व जा भी रहे हैं. इतना ही नहीं, भारत में भी दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ रहा है. इसी कारण हाल के दिनों में श्रीनगर तथा लखनऊ में दंगे भी भड़के थे.
डॉ. बंसल ने कहा कि यह एक ऐसी लड़ाई है जिसे गोला बारूद से नहीं बल्कि वैचारिक आधार पर ही जीता जा सकता है. आज सारी दुनिया आईएस को सबसे बड़ा खतरा मान रही है, क्योंकि यह लड़ाई केवल ईराक व सीरिया तक सीमित रहने वाली नहीं है. अबू बकर बगदादी ने स्वयं को खलीफा घोषित कर सम्पूर्ण विश्व में इस्लाम का परचम लहराने की इच्छा जताई है. अतः समय रहते इस खतरे को समझ कर निबटना होगा.
“भारत के समक्ष धर्म संकट की नौबत आ गई है. एक ओर तो 49 भारतीय ट्रक ड्राइवर ईराक में बंधक हैं, वहीं तेल के लिये निर्भरता भी एक बड़ा मुद्दा है. अतः वेट एंड वाच की नीति ही इस समय अपनाई जाने की विवशता है.”
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार श्री रमेश शर्मा ने तथा आभार प्रदर्शन विश्व संवाद केंद्र न्यास के अध्यक्ष श्री लक्ष्मेन्द्र माहेश्वरी ने किया.कार्यक्रम में अन्य लोगों के अतिरिक्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख श्री जे. नंदकुमार, विश्व संवाद केंद्र के कोषाध्यक्ष श्री दिनेश जैन, पत्रकार सर्व श्री शिव अनुराग पटेरिया, दीपक तिवारी, विजय दास, हरिमोहन मोदी, अक्षत शर्मा, मयंक चतुर्वेदी, अशोक त्रिपाठी, कृष्णमोहन झा, राजीव सोनी, पंकज पाठक, रवीन्द्र पंडया, सुरेन्द्र द्विवेदी, श्री पुरुषोत्तम सोढानी आदि उपस्थित थे.