मेरठ. मेरठ कॉलेज के इतिहास विभाग एवं भारतीय इतिहास संकलन समिति द्वारा वीर बन्दा बैरागी के 299वें बलिदान दिवस पर गोष्ठी का आयोजन किया गया. गोष्ठी में मुख्य वक्ता प्रमुख इतिहासकार प्रो ज्ञानेश्वर खुराना (पूर्व कुलपति कुरुक्षेत्र विवि) ने असरार-ए-समदी आदि समसामयिक फारसी स्रोतों के हवाले तथा 19वीं शताब्दी के अंग्रेज लेखकों के विवरणों के आधार पर बंदा बैरागी के व्यक्तित्व व कृतित्व के अनूठे पहलुओं पर प्रकाश डाला.
उन्होंने कहा कि बन्दा का संघर्ष किसी व्यक्तिगत बदले की भावना से प्रेरित नहीं था, बल्कि एक सामाजिक क्रांति के लिये था. जिसने दलित (प्रताड़ित, दमन किए हुए), शोषित, पीड़ित वर्ग को मानवता के मूल अधिकार दिलाना सुनिश्चित किया. बन्दा ने अपने अल्पकालिक राज्य में भूमि का मालिकाना हक काश्तकारों को दिलाया तथा सरकारी प्रशासनिक पदों पर नियुक्ति, वीरता, योग्यता व कर्मठता के आधार पर क्रियान्वित की. कर्म के आधार पर व्यवस्था को सुनिश्चित करके बन्दा ने जातिवाद व जन्म के आधार पर प्रचलित ऊंच-नीच की भावना को नष्ट किया. उन्होंने कहा कि बन्दा का बलिदान मानवता के हित के लिये था जो अविस्मरणीय रहेगा और युगों- युगों तक दलितों, शोषितों, पीडि़तों की प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा.
मुख्य अतिथि ओमवीर सिंह तोमर ने बंदा की शहादत से प्रेरणा लेने का आग्रह भारत की भावी पीढ़ियों से किया. बन्दा बैरागी के बलिदान को याद करते कहा कि आज भारत में बलिदानी क्रांतिकारियों के इतिहास को संजोकर रखने तथा उसे प्रचारित करवाने की आवश्यकता है.
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. विघ्नेश त्यागी ने बताया कि इतिहास संकलन समिति तथा मेरठ कॉलेज का इतिहास विभाग वीर बन्दा बैरागी को वर्षभर याद करवाता रहेगा. कहा कि अगले उनके 300वें बलिदान दिवस तक चलने वाली कार्यक्रम श्रृंखला ‘‘पुण्य प्रवाह हमारा’’ का आज विधिवत शुभारंभ हो गया है, कार्यक्रम श्रृंखला का जून 2016 में दिल्ली में भव्यता से समारोप कार्यक्रम आयोजित करने की योजना है.