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बलूचिस्तान मुद्दे पर विश्व के मानवाधिकार संगठन दोहरे मापदंड अपना रहे हैं – प्रो. राकेश सिन्हा

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ipfनई दिल्ली. भारत नीति प्रतिष्ठान के मानद निदेशक प्रो. राकेश सिन्हा ने बलूचों की समस्या को भारत के वैचारिक धरातल के सूत्र से बांधा. उन्होंने भारत के उस अतीत को याद दिलाते हुए कहा कि जब भारत खुद गुलाम देश था और वह विश्व को एंटी-एपार्थिड मूवमेंट पर चेताने चला गया था. उन्होंने एमनेस्टी इंटरनेशनल और अन्य मानवाधिकार संगठनों के दोगले चेहरे को विश्व के सामने उजागर किया. अमेरिका की बलूचिस्तान के मुद्दे पर शांति पर भी प्रश्न को उठाया. राकेश सिन्हा भारत नीति प्रतिष्ठान द्वारा “बलूच राष्ट्रीयता : बलूचिस्तान के आंतरिक उपनिवेशवाद” विषय पर आयोजित सेमिनार में संबोधित कर रहे थे.

बलूच नेता मजदक दिलशाद बलूच ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे हमारे दर्द को समझते हैं. उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के संयुक्त राष्ट्र महासभा के भाषण के लिए भी आभार व्यक्त किया. उन्होंने पाकिस्तान की ‘ मारो और फेंक डालो ’ नीति की घोर भर्त्सना करते हुए बताया कि 20 हजार से अधिक लोगों को मारकर जमीन में दबा दिया गया है. कैसे पाकिस्तानी आर्मी महिलाओं और बच्चों पर जुल्म ढाते हैं, इसको उन्होंने विश्व के सामने उजागर किया. भारत के साथ बलूचों की संस्कृति और पौराणिक एकाग्रता की भी बात बताई, कैसे आज भी बलूचिस्तान में हिन्दू शान से अपने आपको बलूच हिन्दू बोलते हैं, इसका भी व्याख्यान किया.

लेखक एवं स्तंभकार तारेक फतह ने कहा कि पाकिस्तान एक मनोदशा है, देश नहीं. दक्षिण एशिया का समय करवट ले रहा है और इसका भविष्य निर्धारित होने वाला है. उन्होंने भारत के राष्ट्रगान को इंगित करते हुए बोला कि सिंध और पंजाब जो भारत के राष्ट्रगान में वर्णित है, उसकी ओर भारत को ध्यान देना चाहिए. भारत को क्षेत्र में समता बनाए रखने के लिए अग्रणी होना चाहिए. क्षेत्र की शांति के लिए पाकिस्तान को काबू में रखना चाहिए.

ipfमेजर जनरल (सेवानिवृत्त) जीडी बख्शी ने सर्जिकल स्ट्राइक की सराहना करते हुए कहा कि भारत को 30 वर्ष बाद एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जो सीमा और अंतर्राष्ट्रीय जगत में भारत की रुचि को आगे रख सकता है. उन्होंने भारत को चीन के षड्यंत्र सीपीईसी के बारे में चेताया. यदि सीपीईसी विश्व के मानचित्र पर आती है तो चीन पंजाब और राजस्थान में कभी भी घुसपैठ कर सकता है. चीन चाहता तो सिंधु के उस पार से भी सी.पी.ई.सी. का निर्माण करवा सकता था, लेकिन उसकी रणनीति तो भारत को चौतरफा घेरने की है. उन्होंने कहा कि बलूचों की मदद अपनी मदद करना साबित होगी, इससे हमारी आने वाली पीढ़ियां सुरक्षित एवं सुख चैन से जी पाएंगी.

विवेक काटजू ने  भी इसी बात को दोहराया कि समय आ गया है कि भारत को बलूचों की मदद के लिए आगे बढ़ना चाहिए. भारत नीति प्रतिष्ठान द्वारा 01 अक्टूबर, 2016 को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित सेमीनार में ‘ बलूचिस्तान : व्हाट वर्ल्ड नीड्स टू नो ‘ और ‘ बलूचिस्तान का सच ‘ नामक पुस्तिका का विमोचन हुआ, जिसकी संपादक दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. गीता भट्ट हैं.

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