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बांद्रा – मजदूरों के नाम सामाजिक दूरी को असफल बनाने की साजिश..!

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रवि प्रकाश

मुंबई

कल्पना करें एक ऐसे स्थिति कि जब पूरा देश व्यापक जनसाधारण की जीवन रक्षा के संघर्ष में लगा हो, सरकारी निकाय, चिकित्सीय संस्थान, वैज्ञानिक, केंद्रीय, राज्य एवं नगर निकायों के कर्मचारी तथा आम नागरिक एकजुट होकर इस संघर्ष में सहभागिता कर रहे हों और उसी समय कुछ सिरफिरे लोग देश के साथ अपराध और जन-गण के जीवन के साथ खिलवाड़ करने को उद्धृत हों, तब कैसे विषम परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है.

कोरोना वायरस के प्रकोप से उत्पन्न कोविड-19 की विश्वव्यापी महामारी से जब विश्व के बड़े-बड़े साधन-संपन्न और शक्तिशाली देश त्राहिमाम कर रहे हैं, तब प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी के कुशल और उत्साहवर्धक नेतृत्व में पूरा देश के महामारी के विरुद्ध लड़ाई जीतने के सारे जुगत कर रहा है. इसी जुगत का हिस्सा है – सामाजिक दूरी का पालन. स्पष्ट है कि जिन देशों ने इस आपदा हो हल्के में लिया, सामाजिक दूरी का महत्व समझने में देरी की उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. ऐसे में मोदी जी की सरकार ने सही समय पर जनता का आह्वान किया और देश के जनमानस के समर्थन के साथ तीन सप्ताह का राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन घोषित किया, जिसकी अवधि कल 14 अप्रैल को समाप्त हुयी. स्थिति के विशेलेषण और भावी आंकलन के आधार पर प्रधानमन्त्री ने 14 अप्रैल को पूर्वाह्न 10 बजे राष्ट्र को पुनः संबोधित किया. इस वैश्विक महामारी विरुद्ध अपने देश में किये जा रहे उपायों की चर्चा की, साधनों-संसाधनों की जानकारी दी, गत तीन सप्ताह की उपलब्धियों और फायदों से देश को अवगत कराया और अगले 18 दिनों के लिए 3 मई 2020 तक एक और चरण के लॉकडाउन की घोषणा करते हुए देशवासियों से सहयोग और व्यापक जनहित में उनके कर्तव्य निर्वहन का अनुरोध किया.

ऐसे में लॉकडाउन के प्रथम चरण के दौरान तबलीगी जमात ने देश के साथ अपराध करते हुए इन प्रयासों को विफल करने का षड्यंत्र रचा, जिस पर क़ानून अपना काम कर रहा है. इसी कड़ी में लॉकडाउन के दूसरे चरण के आरम्भ होने के ठीक एक दिन पहले 14 अप्रैल को देश के कुछ राष्ट्रविरोधी ताकतों ने लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करने का घिनौना षड्यंत्र रचा. इसी में मुंबई शहर भी शामिल है.

सभी जानते हैं कि कोरोना वायरस से प्रभावित राज्यों में सबसे गंभीर अवस्था महाराष्ट्र की है और इसमें मुंबई शहर पर सबसे अधिक खतरा है. ऐसे में सरकार के प्रयासों के साथ सहयोग करने, प्रवासी श्रमिकों की मदद करते हुए उन्हें यथास्थान रहने के लिए प्रेरित करने और सामाजिक दूरी का पालन करते हुए इस वायरस के प्रसार को रोकने की आवश्यकता है. किन्तु “मजदूर आन्दोलन” के नाम पर देश के साथ गद्दारी और अप्रत्यक्ष नरसंहार करने की मानसिकता से विनय दुबे नामक छुटभैया आदमी ने कतिपय ताकतों की साठ-गाँठ से सरकार के प्रयासों और आम नागरिकों के कठिन त्याग, कष्ट और तपस्या पर पानी फेरने का घिनौना काम किया. 14 अप्रैल 2020 के अपराह्न में मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर हज़ारों प्रवासी श्रमिकों-कामगारों की भीड़ इकट्ठा करने के लिए उसने बांद्रा स्टेशन से उत्तर भारत के लिए रेलगाड़ी प्रस्थान करने की अफवाह उड़ाई और मस्जिद के पास भीड़ जमाकर सामाजिक दूरी की धज्जियाँ उड़ाई.

इसके पहले के इस साजिश का विश्लेषण किया जाए, यह जानना ज़रूरी है कि यह विनय दुबे है कौन. यह आदमी उसी गिरोह का सदस्य है जो सरकार के विरोध के नाम पर, प्रधानमंत्री के विरोध के नाम पर देश विरोधी शक्तियों की तरफदारी करता रहा है. वही गिरोह जो तबलीगी जमात पर कार्रवाई करने की मांग के बदले उसके पक्ष में खड़ा रहा है. वही गिरोह जो संसद के दोनों सदन द्वारा संविधान सम्मत विधि से पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरुद्ध एक ख़ास धर्म के लोगों और विशेषकर महिलाओं का दिल्ली में सड़क पर जमघट लगाकर पूरे देश में साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने की साजिश करता रहा है.

यह विनय दुबे नाम का तुच्छ आदमी उसी गिरोह की शह पर देश के विरुद्ध काम करा रहा है, इसे मानने के एक से अधिक कारण हैं. इस आदमी के फेसबुक और ट्विटर अकाउंट पर इसके पोस्ट्स इसके मंसूबों को बयाँ करते हैं. 25 मार्च से तीन सप्ताह का लॉकडाउन आरम्भ हुआ. पूरा देश प्रधानमन्त्री के साथ खड़ा रहा, इस बीच 3 अप्रैल को इसके व्यक्तिगत नफरत-भरे दिमाग से जो ट्विट निकला उसके शब्द हैं – “श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी आज तक के भारतीय इतिहास के सबसे ‘नाकामयाब’ व ‘हारे’ हुए ‘प्रधानमन्त्री’ हैं!! आज मैं कह रहा हुं, कल पूरा देश कहेगा”. 11 अप्रैल को इस आदमी का दूसरा ट्विट आता है – “महाराष्ट्र में फंसे ‘उत्तर भारत’ के मजदूरों को उनके गाँव घर ज़रूर पहुचाऊंगा, भले इस काम में मुझे सरकार जेल में डाल दे!! ‘मजदूर आन्दोलन की तरफ बढ़ता भारत…. घर वापसी आन्दोलन. विनय दुबे.” 11 अप्रैल को ही इसका एक और ट्विट आता है – “सरकार इन फंसे हुए ‘मजदूर’ लोगों को अपने गाँव परिवार के बीच पहुंचाने के लिए रास्ता निकाले वरना मजदूर रास्तों पर उतरने को ‘मजबूर’ होंगे !! भूखे मरने से अच्छा पैदल गाँव जाएंगे.”

अब 14 अप्रैल के अपराह्न बांद्रा स्टेशन पर मस्जिद के पास हज़ारों श्रमिकों के जमघट की परिस्थितियों पर गौर करें. सभी जानते थे कि उस दिन प्रथम चरण का लॉकडाउन समाप्त होने वाला है. उस दिन पूर्वाह्न में लॉकडाउन को आगे बढ़ाने की घोषणा हो चुकी थी. इसके बावजूद यह अफवाह फैलाई गयी कि बांद्रा स्टेशन से रेलगाड़ी उत्तर भारत के लिए चलने वाली है. इस बीच 13 अप्रैल 2020 की तारीख का दक्षिण-मध्य रेलवे के मुख्य वाणिज्य प्रबंधक (यात्री विपणन) के एक पत्र का इस्तेमाल किया गया, जिसमें 13 अप्रैल के वीडियो कांफ्रेंस का हवाला देते हुए जनसाधारण स्पेशल ट्रेन्स चलाने के प्रस्ताव पर सभी मंडल वाणिज्य प्रबंधकों से फंसे यात्रियों की संख्या का विश्लेषण माँगा गया है. इस पत्र की सत्यता जांच का विषय हो सकती है. किन्तु इसे सत्य मानने पर भी कहीं से यह आभास नहीं मिलता है कि 14 अप्रैल को बांद्रा रेलवे स्टेशन से उत्तर भारत के लिए कोई रेलगाड़ी प्रस्थान करने वाली है. गौरतलब है कि हज़ारों की भीड़, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि वे ट्रेन पकड़ने आए थे, इनमें से किसी के पास कोई सामान नहीं था. यह बड़ी अजीब बात है कि हज़ारों लोग बगैर किसी सामान के अपने घर वापस जाने के लिए रेलवे स्टेशन पर जमा हो गए. और फिर वे स्टेशन के भीतर न जाकर स्टेशन के सामने मस्जिद के पास ही जमा होते हैं. और इस प्रकार शहर में अफरा-तफरी का माहौल पैदा कर, पहले से संक्रमण की मार झेल रहे मुंबई शहर को वुहान या न्यूयॉर्क बनाने की साजिश रची गयी. तबलीगी जमात की हरकतों, पाकिस्तान में मौलवियों द्वारा सरकार को मस्जिदों में सामूहिक नमाज की इजाजत देने, वरना नतीजे भुगतने की चेतावनी, विदेशों से सैकड़ों तबलिगियों द्वारा वीजा का अवैध इस्तेमाल करके दिल्ली को कोरोना वायरस का गढ़ बनाने का मंसूबा, और इधर विनय दुबे द्वारा “मजदूरों” के नाम पर सामाजिक दूरी को असफल बनाने और अपनी नेतागिरी चमकाने की साजिश और बांद्रा में मस्जिद के सामने भीड़ जमा करने के लिए लोगों को लाना – इन सारी कड़ियों को जोड़ें तो स्थिति स्पष्ट जो जाती है कि किस प्रकार एक ख़ास वर्ग के लोग राजनीति में जनता द्वारा नकारे गए, राजनैतिक दलों के सरगनाओं की शह और समर्थन से पूरे देश के साथ षड्यंत्र कर रहा है.

मामले में पुलिस ने एक चैनल के रिपोर्टर को भी गिरफ्तार किया है, कहा जा रहा है कि एक कथित पत्र के आधार पर रिपोर्टर ने उत्तर भारत की ओर ट्रेन जाने का समाचार चलाया था.

सरकार को चाहिए कि विनय दुबे पर रासुका के तहत कारवाई करे और इस मामले की तह तक जाने तथा सभी सम्मिलित देश-विरोधी ताकतों को क़ानून के कटघरे में लाने के लिए उच्च स्तरीय जाँच कराये और दोषियों को ऐसी सजा दिलाये जो एक उदाहरण बन सके और देश की राजनीति में घुन की तरह घुसे समूहों का पर्दाफ़ाश करते उन्हें अलग-थलग किया जा सके.

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