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ब्राजील में रहकर भी ध्यान आस्था का केंद्र भारत में रहता है

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भोपाल (विसंकें). जानकी और सुरेन्द्र. ब्राजील की 40 वर्षीय नागरिक जानकी का मूल नाम कॉसमे दी पेसिया और सुरेंद्र का नाम जेओर्जेट दी पेसिया है. जानकी पेशे से इवेंट प्रमोटर हैं और सुरेन्द्र शिक्षक हैं. दोनों इन दिनों आध्यात्मिक पर्यटन हेतु भारत, विशेषकर ग्वालियर आए हुए हैं. वैवाहिक जीवन के प्रारंभिक पड़ाव पर ही सनातन हिन्दू धर्म अपना लिया और हिन्दू धर्म के अनुसार विवाह किया. अब दोनों स्वयं को हिन्दू बताते हैं और हिन्दू रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन ब्राजील में करते हैं. पति-पत्नी सनातन हिन्दू संस्कृति एवं सनातनी जीवनशैली के करीब हो गए हैं.

जानकी और सुरेन्द्र ने बताया कि हम युवा अवस्था से ही ईश्वर तत्व को खोजने में लगे थे. विभिन्न माध्यमों से हिन्दू धर्म के बारे में जानकारी जुटाई, हमारी जिज्ञासा बढ़ती गई और अपने अंदर की प्रेरणा से हिन्दू धर्म से जुड़ी पुस्तकें, साहित्य आदि का अध्ययन किया. ज्ञात हुआ कि हिन्दू धर्म में ध्यान लगाना और गुरु का विशेष महत्त्व है. इसलिए गुरु के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए गुरु बनाने का मन बनाया और तीन सप्ताह तक लगातार भगवान का भजन एवं प्रार्थना की. इसके लिए सनातन धर्म से सम्बंधित कई कार्यक्रमों में सहभागिता की. इसी दौरान मध्यप्रदेश के होशंगाबाद से संत तिलक महाराज जी कार्यक्रम हेतु रिओ-दी-जेनेरियो आए हुए थे, वहां उनसे मुलाकात हुई. उन्होंने हिन्दू धर्म और रामकृष्ण मिशन आश्रम के बारे में विस्तार से बताया. दोनों ने स्वामी तिलक महाराज जी को गुरु बनाने का निर्णय लिया, क्योंकि सनातन धर्म हिन्दू से ही ईश्वर तत्व को महसूस किया जा सकता है और यह मनुष्य की आत्मा को मुक्ति की ओर ले जाता है.

जानकी और सुरेन्द्र प्रतिदिन सुबह उठकर भगवान का स्मरण एवं गायत्री मन्त्र का जाप करने के साथ ही दैनिक पूजा पाठ से निवृत होकर अन्य कार्य करते हैं. ब्राजीलियन को विभिन्न कार्यक्रमों में सम्मिलित कर धर्म, रीति-रिवाज एवं परम्पराओं से अवगत कराते है. हम रहते तो ब्राजील में हैं और ध्यान आस्था का केंद्र भारत में रहता है. जानकी और सुरेन्द्र ने भारत के कई धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया है. कहते हैं कि मंदिर में दर्शन करने मात्र से ही शान्ति का अनुभव होता है और एक अद्भुत ऊर्जा मिलती है, मन में एक आशा की किरण जागती है.

दोनों की भेंट वर्तमान रामकृष्ण मिशन ग्वालियर के सचिव स्वामी राघवेंद्रानंद महाराज जी से वर्ष 2014 में इंदौर के आश्रम में हुई थी. उसके बाद से ही स्वामी जी से मिलने और आशीर्वाद लेने प्रतिवर्ष ग्वालियर आते हैं.

जानकी और सुरेंद्र ने मध्यप्रदेश के होशंगाबाद आश्रम के स्वामी तिलक महाराज जी से वर्ष 1993 में दीक्षा ली, और स्वामी जी ने ही रामकृष्ण मिशन से जुड़ने के लिए प्रेरित किया. जानकी और सुरेंद्र ब्राजील के रिओ-दी-जेनेरियो स्थित घर पर ही भारतीय संस्कृति से सम्बंधित विभिन्न आयोजन प्रति माह करते हैं. जिसमें प्रमुख रूप से गायत्री मंत्र का जाप एवं भगवान् राम, कृष्ण एवं गणेश जी के भजन कार्यक्रम विशेष होते हैं. इसके साथ ही योग का प्रशिक्षण भी देते हैं और होली, दिवाली, जन्माष्टमी आदि त्यौहार विशेष रूप से मनाते हैं.

जानकी और सुरेन्द्र ने भारतीय व्यंजनों को बनाना सीखा है, अब वे ब्राज़ील में ब्राजील निवासियों के लिए कुकिंग क्लास चलाते हैं और पारम्परिक भारतीय व्यंजन बनाने की विधि सिखाते हैं. साथ ही ब्राजीलियन महिलाओं को साड़ी पहनना, मेहंदी लगाना भी सिखाती हैं.

जानकी और सुरेन्द्र प्रति वर्ष भारत आते हैं. यहाँ से चूड़ियां, पायल, माला, कैंडल्स, मिट्टी के दिए, साड़ी, चुनरी, मेहंदी, भगवान के चित्र एवं मूर्तियाँ, आध्यात्मिक पुस्तकें आदि खरीद कर ले जाते हैं. फिर वहां पर विक्रय कर आश्रम के लिए सहयोग निधि एकत्रित करते हैं.

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